नापासर टाइम्स। बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से जाना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा दुनिया भर में बौद्ध समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान और दान धर्म के कार्य का विशेष महत्व है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी.
*बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त*
पूर्णिमा तिथि इस बार 22 मई, बुधवार को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और समापन 23 मई, गुरुवार को रात 7 बजकर 22 मिनट पर होगा. हालांकि, उदयातिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा इस बार 23 मई, गुरुवार को ही मनाई जाएगी. इस दिन स्नान दान का समय सुबह 4:04 से लेकर सुबह 5:26 मिनट तक रहेगा.
*बुद्ध पूर्णिमा शुभ योग*
बुद्ध पूर्णिमा इस बार बहुत ही खास मानी जा रही है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग, शुक्र सूर्य युति से शुक्रादित्य योग, राजभंग योग और गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण होने जा रहा है.
सर्वार्थ सिद्धि योग- 23 मई को ये योग सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और समापन 24 मई को सुबह 5 बजकर 26 मिनट पर होगा.
शिव योग- 23 मई को ये योग दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से लेकर 24 मई को सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा.
*बुद्ध पूर्णिमा पूजन विधि*
प्रात:काल में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें. पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए. इस दिन चूंकि कुछ क्षेत्रों में शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनिदेव की तेल, तिल और दीप आदि जलाकर पूजा करनी चाहिए. शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं या फिर शनि मंत्रों का जाप कर सकते हैं. अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए.
*बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास*
बुद्ध की कहानी लगभग 2,500 साल पहले नेपाल के लुंबिनी में शुरू हुई थी. बुद्ध के अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध के जन्म के रूप मनाते हैं. माना जाता है कि इसी दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. बौद्ध लेखों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने बिहार के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया था और वहीं ज्ञान की प्राप्ति की थी