नापासर टाइम्स। अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 11 नवंबर (शुक्रवार) को है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। अगहन महीना श्रीकृष्ण का प्रिय माह है। इस महीने में रोज सुबह बाल गोपाल का अभिषेक करने का विशेष महत्व है।
ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शुक्रवार का कारक ग्रह शुक्र है। इस दिन देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है। शुक्रवार और चतुर्थी का योग होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही लक्ष्मी जी और शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करना चाहिए।
*चतुर्थी पर 5 स्टेप्स में कर सकते हैं गणेश पूजा*
चतुर्थी तिथि पर स्नान के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
गणेश जी को स्नान कराएं। इसके बाद को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं।
वस्त्र अर्पित करें। चावल चढ़ाएं। फूलों से श्रृंगार करें। गणेश मंत्र बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं।
भगवान को लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर जलाएं। धूप-दीप से आरती करें। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें।
अंत में प्रसाद अन्य भक्तों को बांटें। अगर संभव हो सके तो घर में ब्राह्मणों को भोजन कराएं। दक्षिणा दें।
*गणेशजी के 12 नाम मंत्रों का कर सकते हैं जप*
गणेश पूजन में भगवान के 12 नाम वाले मंत्रों का जप करेंगे तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। ऊँ गणाधिपतयै नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम:, ऊँ कुमारगुरवे नम:।
*ऐसे कर सकते हैं महालक्ष्मी का पूजन*
महालक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा का अभिषेक करें। वस्त्र अर्पित करें, हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कर सकते हैं।
शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। शुक्रवार और चतुर्थी के योग में शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और सफेद फूलों से श्रृंगार करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल भी चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।