कब मनाई जाएगी महाअष्टमी,जाने सप्तमी से लेकर दशहरा तक की तिथियां

नापासर टाइम्स।  इस बार इन तिथियों को लेकर भक्तों में काफी दुविधा है, क्योंकि इस साल शारदीय नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों की है! इसी कारण अष्टमी, नवमी और दशहरे की सही तारीखों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. हम आपकी इसी उलझन को दूर करेंगे, राजस्थान सहित पूरे उत्तर और पश्चिम भारत में, पिछले छह दिनों से शारदीय नवरात्रों के दौरान माता रानी के जयकारे गूंज रहे हैं. मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. अब, छह दिन बीत जाने के बाद, बारी आती है महा अष्टमी और महा नवमी की, जब श्रद्धालु कन्या पूजन कर अपने नौ दिवसीय व्रत का समापन करते हैं. हालांकि, इस बार इन तिथियों को लेकर भक्तों में काफी दुविधा है, क्योंकि इस साल शारदीय नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों की है! इसी कारण अष्टमी, नवमी और दशहरे की सही तारीखों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. हम आपकी इसी उलझन को दूर करेंगे और आपको सप्तमी से लेकर दशहरा (विजयादशमी) तक की एकदम सही तिथियां बताएंगे.

*कब मनाई जाएगी महाअष्टमी:*

महाअष्टमी का पर्व 30 सितंबर मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो आदिशक्ति का एक स्वरूप हैं. वे पवित्रता, शांति और सादगी का प्रतीक मानी जाती हैं. मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने चंड, मुंड और रक्तबीज जैसे असुरों का वध किया था.

*कितने बजे होगी महा अष्टमी तिथि प्रारम्भ:*

अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 29 सितम्बर 2025 को शाम:4:31 पी एम बजे होगा और समापन 30 सितम्बर 2025 को 06:06 पी एम बजे होगा.

*कब मनाई जाएगी महा नवमी:*

महा नवमी 1 अक्टूबर यानी बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी के रूप में पूजा जाता है.मान्यता है कि इसी दिन मां ने भैंस रूपी राक्षस महिषासुर का वध किया था. यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है.

*कितने बजे होगी महा नवमी तिथि प्रारम्भ:*

नवमी तिथि का प्रारम्भ 30 सितम्बर 2025 को 06:06 पी एम बजे होगा और समापन 1 अक्टूबर 2025 को 07:01 पी एम बजे होगा.

*कन्या पूजन कैसे किया जाता है:*

कन्या पूजन के दिन घर आई कन्याओं के सबसे पहले पैर धुले जाते हैं. इसके बाद उन्हें एक साफ आसन पर बिठाया जाता है. फिर कन्याओं के माथे पर तिलक लगाते हैं. साथ ही हाथ में कलावा बांधते हैं. फिर उन्हें भोजन खिलाया जाता . इस दिन कन्याओं को खाने में हलवा, पूरी और चना जरूर देना चाहिए. इसके बाद उन्हें गिफ्ट या दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.