नापासर टाइम्स। इस हफ्ते भगवान गणेश, शिवजी और सूर्य पूजा के लिए खास दिन रहेंगे। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की पूजा एवं पंचमी पर शिवजी के नागेश्वर रूप की पूजा करने का महत्व बताया गया है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव की पूजा विष्णु रूप में की जाती है। इसके अगले दिन यानी अष्टमी से होलाष्टक शुरू हो जाता है। जो होलिका दहन तक रहता है। इन दिनों किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है।
दरसअसल ग्रंथों के हवाले से बनारस और पुरी के जानकारों का कहना है कि फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश, शिव और सूर्य की पूजा करने से पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही इन दिनों व्रत करने से सेहत अच्छी रहती है।
*विनायक चतुर्थी (23 फरवरी, गुरुवार):*
इस दिन फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। पुराणों के मुताबिक इस दिन व्रत रखने और गणेशजी की उपासना करने से सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता, ज्ञान और बुद्धि मिलती है। भगवान गणेश की पूजा से कार्य सिद्ध होते हैं और मनोकामना पूरी होती हैं। विनायक चतुर्थी के बारे में मान्यता है कि इस व्रत से जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
*नागेश्वर पंचमी (24 फरवरी, शुक्रवार):*
फाल्गुन महीने की इस पंचमी पर शिवजी के नागेश्वर रूप की पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। महाशिवरात्रि पर्व के पांच दिन बाद इस तिथि को शिव पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं।
शिव पुराण में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा गया है कि गुजरात के द्वारका में शिव ने पाशुपतास्त्र से दारुका राक्षस का वध कर भक्तों की रक्षा की थी और यहां ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए। द्वारकाधीश श्रीकृष्ण भी शिव का रुद्राभिषेक करते थे। श्रद्धालु यहां चांदी के नाग-नागिन चढ़ाते हैं। मान्यता है कि यहां शिव पूजन से मन और शरीर जहर मुक्त होता है।
*सूर्य सप्तमी (26 फरवरी, रविवार):*
फाल्गुन महीने में विष्णु नाम से भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इस महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि अगर रविवार को पड़े तो ये विशेष शुभ संयोग होता है। जिसे भानु सप्तमी कहा जाता है। इस संयोग में उगते हुए सूरज को 12 नामों से प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद अर्घ्य देना चाहिए।
दिनभर व्रत रखें। इस व्रत में नमक बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। इस दिन पानी में लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत और गंगाजल मिलाकर सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें। ऐसा करने से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र बढ़ती है।