नापासर टाइम्स। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल विजया एकादशी आज 16 फरवरी 2023 को मनाई जा रही है. किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए विजया एकादशी के दिन को काफी शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन किए गए काम में व्यक्ति को हमेशा सफलता प्राप्त होती है. विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय
*विजया एकादशी शुभ मुहूर्त*
विजया एकादशी बृहस्पतिवार, फरवरी 16, 2023 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 16, सुबह 5 बजकर 32 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त – फरवरी 17, सुबह 2 बजकर 29 मिनट पर खत्म
पारण (व्रत तोड़ने का) समय- फरवरी 17, सुबह 8 बजकर 1 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 13 मिनट तक
*विजया एकादशी पूजा विधि*
एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पीले चन्दन/पीले फूल/पीली मिठाई/लौंग सुपारी इत्यादि से पूजन करें. धूप दीप जलाएं और एकादशी की कथा सुने और मन ही मन विष्णु जी से अपनी समस्या कहें. कथा सम्पूर्ण होने पर श्रीविष्णु जी की आरती करें. ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को सामर्थ्य अनुसार दान भी दें उसके बाद स्वयं खाना खाएं.
*विजया एकादशी पर करें ये महाउपाय*
सुबह के समय जल्दी उठें और जल में केसर डालकर स्नान करें.
सूर्य नारायण को जल में केसर के डाल कर अर्घ्य दें.
भगवान विष्णु या राम दरबार के चित्र को अपने सामने स्थापित करें.
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का तीन माला जाप करें.
*विजया एकादशी पर बरतें ये सावधानियां*
इस दिन सूर्योदय से पहले उठे स्नान करके साफ हल्के रंग के कपड़े पहने.
प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन का बिल्कुल भी प्रयोग ना करें.
सुबह और शाम एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़े पहन कर ही व्रत कथा सुने.
विजया एकादशी पर एक आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बाहर जाप जरूर करें.
*विजया एकादशी व्रत कथा*
ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुँचे, तब मर्यादा पुरुषोत्तम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तब श्री राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.