Vat Purnima Vrat 2023: वट पूर्णिमा पर भद्रा के साथ ये शुभ योग भी, जानें पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं किस मुहूर्त पर करे पूजा

नापासर टाइम्स।आज शनिवार 3 जून 2023 को वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस दिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा व्रत के साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा. इसलिए इसे वट पूर्णिमा या वट सावित्री पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है.

बता दें कि, 15 दिन के अंतराल में दो बार वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. इससे पहले 19 मई 2023 को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुहागिनों ने वट सावित्री का व्रत रखा. अब ज्येष्ठ पूर्णिमा पर 3 जून को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा. वट पूर्णिमा का व्रत विशेषकर महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत समेत कई क्षेत्रों में रखा जाता है.

वट पूर्णिमा के दिन भी वट वृक्ष के साथ देवी सावित्री और सत्यवान की पूजा होती है. सुहागिन महिलाएं सुहाग की दीर्घायु की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं. लेकिन इस बार वट पूर्णिमा पर पूरे दिन भद्रा काल का साया रहने वाला है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि, क्या भद्रा काल में वट सावित्री या वट पूर्णिमा की पूजा की जाएगी या नहीं.

*ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त*

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि आरंभ: शनिवार, 3 जून 2023 सुबह 11:16 से

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त: रविवार 4 जून 2023 सुबह 09:11 तक

*वट पूर्णिमा सावित्री व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त*

पूजा के लिए सुबह और दोपहर में शुभ मुहूर्त है.

आप सुबह 07:07 से लेकर सुबह 08:51 तक पूजा कर सकते हैं.

इसके बाद दोपहर में 12:19 से शाम 05:31 तक का समय भी पूजा के लिए उत्तम रहेगा.

इस दिन चर-सामान्य मुहूर्त दोपहर 12:19 से 02:03 तक है.

लाभ-उन्नति मुहूर्त दोपहर 02:03 से 03:47 तक है.

अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 03:47 से शाम 05:31 तक रहेगा.

*वट पूर्णिमा व्रत पर तीन शुभ योग*

वट पूर्णिमा व्रत के दिन तीन शुभ योग भी बनेंगे, जिसमें पूजा करना अति उत्तम होगा. इस दिन सुबह 05:03 से 06:16 तक रवि योग रहेगा, 06:16 से दोपहर 02:48 तक शिव योग रहेगा और दोपहर 02:48 से रात तक सिद्ध योग रहेगा.

*वट पूर्णिमा व्रत पर भद्रा में पूजा कर सकते हैं या नहीं*

वट पूर्णिमा के दिन सुबह 11:16 से लेकर रात 10:17 तक भद्रा काल रहने वाला है. भद्रा काल में पूजा-पाठ और कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य को करना वर्जित माना गया है. लेकिन ज्योतिष की माने तो यह स्वर्ग की भद्रा है. इसलिए पृथ्वी पर इस भद्रा का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. ऐसे में आप ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट सावित्री का व्रत और पूजन कर सकेंगे.