हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख आज से शुरू:पूजा-पाठ के साथ ही जूते-चप्पल, पीने का पानी और छाते का दान करें; शिवलिंग पर चढ़ाएं ठंडा पानी

आज (7 अप्रैल) से हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू हो गया है। ये महीना 5 मई तक रहेगा। इसके बाद ज्येष्ठ मास शुरू होगा। वैशाख में गर्मी काफी अधिक रहती है, इसलिए इस माह में पूजा-पाठ के साथ ही जूते-चप्पल, पानी और छाते का दान करने की परंपरा है। शिवलिंग पर ऐसी चीजें खासतौर पर चढ़ाएं जो शीतलता देती हैं, जैसे ठंडा पानी और चंदन।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने की और तीर्थ दर्शन करने का महत्व काफी अधिक है। इन दिनों में गर्मी अधिक रहती है तो खान-पान में लापरवाही न करें। जीवन शैली में भी बदलाव करना चाहिए। सुबह जल्दी उठें और रात में जल्दी सो जाएं। खाने में ऐसी चीजें शामिल न करें, जिनसे पेट संबंधी बीमारी हो सकती है।

न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।

न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंङ्गया समम्।। (स्कंदपुराण)

स्कंद पुराण के इस श्लोक के अनुसार वैशाख के समान कोई और मास नहीं है। सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है। वेद के समान को शास्त्र नहीं है और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है।

वैशाख मास शुक्रवार से शुरू होगा और शुक्रवार को ही खत्म होगा। मान्यता है कि इस माह में किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है और भगवान की कृपा से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। ये महीना वृक्षों में कल्पवृक्ष के समान और शिवजी, विष्णु को प्रसन्न करने वाला माना गया है।

*वैशाख मास में कर सकते हैं ये शुभ काम*

इस माह में हमें सूर्यादय से पहले उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें।

वैशाख में तीर्थ दर्शन करें और नदियों में स्नान करें। अगर यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

ये गर्मी का समय है। इस महीने में पानी का दान करें। किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें। इस माह में जो व्यक्ति प्याउ लगवाता है, वह देवता, ऋषि और पितर सभी को तृप्त करता है। प्यासों के लिए पानी और धूप से बचने के लिए छाते का दान करें। जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल का भी दान करें। आप चाहें तो किसी मंदिर में पंखों का दान भी कर सकते हैं।

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