पंचक में है आज का सोम प्रदोष व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि, रुद्राभिषेक समय, शिव जी पूरी करेंगे मनोकामनाएं

नापासर टाइम्स। आज 17 अप्रैल दिन सोमवार को वैशाख माह का सोम प्रदोष व्रत है. हर त्रयोदशी तिथि को दिन के आधार पर प्रदोष व्रत होता है. आज सोम प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म और इंद्र योग बने हैं, रुद्राभिषेक के लिए ​शिववास भी है. हालांकि पूरे दिन पंचक लगा है, लेकिन शिव पूजा पर कोई रोक नहीं है. पंचक में कुछ निश्चित कार्य ही वर्जित होते हैं. यदि आपको कोई अपनी मनोकामना पूर्ण करनी हैं तो सोम प्रदोष व्रत करना चाहिए. मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए य​ह श्रेष्ठ उपाय है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं सोम प्रदोष व्रत के पूजन मुहूर्त, रुद्राभिषेक समय और पूजा विधि के बारे में.

*सोम प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त*

वैशाख कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: आज, सोमवार, दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से

वैशाख कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन: कल, मंगलवार, दोपहर 01 बजकर 27 मिनट पर

प्रदोष पूजा मुहूर्त: आज, शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात 09 बजकर 01 मिनट तक

ब्रह्म योग: आज, प्रात:काल से रात 09 बजकर 07 मिनट तक, फिर इंद्र योग प्रारंभ

पंचक: आज पूरे दिन

प्रदोष व्रत 2023 रुद्राभिषेक समय
रुद्राभिषेक के लिए शिववास का होना जरूरी है. आज सोम प्रदोष व्रत के दिन शिववास नंदी पर सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक है. ऐसे में आप आज रुद्राभिषेक करा सकते हैं. कार्यों में सफलता, रोग से मुक्ति, भय दूर करने, परिवार की उन्नति आदि के लिए रुद्राभिषेक कराया जाता है.

*सोम प्रदोष व्रत और पूजा विधि*

आज आप सुबह के समय में स्नान करें. सूर्य पूजा के बाद प्रदोष व्रत और शिव आराधना का संकल्प करें. दिनभर फलाहार पर रहें. रुद्राभिषेक कराना है तो सुबह में इसे कराएं. फिर शाम के समय में शिव पूजा करें. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में ही करना फलदायी होता है.

प्रदोष पूजा मुहूर्त में शिवलिंग का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय पंचाक्षर मंत्र का जाप करें. फिर महादेव को बेलपत्र, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, फूल, शहद, अक्षत् आदि अर्पित करें.

उसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और सोम प्रदोष व्रत की कथा सुनें. फिर घी के दीपक या कपूर से शिव जी की आरती करें. भगवान भोलेनाथ से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. रात्रि के समय में जागरण और शिव भक्ति में समय व्यतीत करें.

अगले दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. पारण वाले दिन वैशाख की मासिक शिवरात्रि है.

*शिव पूजा में वर्जित वस्तुएं*

शिव पूजा में सिंदूर, हल्दी, तुलसी के पत्ते, केतकी का फूल आदि वर्जित हैं. पूजा में शंख का भी उपयोग नहीं करते हैं, इसका अर्थ है कि शंख से जल या दूध आदि अर्पित न करें. ये अर्पित करने से व्रत और पूजा निष्फल हो सकता है.