इस बार दीपोत्सव 5 नहीं 6 दिन का:29 को धनतेरस और 31 को लक्ष्मी पूजा, 1 नवंबर को रहेगी स्नान-दान की अमावस्या

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नापासर टाइम्स। मंगलवार, 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ दीपोत्सव शुरू रहा है। इस साल दीप पर्व 5 नहीं 6 दिन का रहेगा, क्योंकि कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को दो दिन रहेगी। 31 तारीख की रात लक्ष्मी पूजा, 1 नवंबर को स्नान-दान की अमावस्या, 2 को गोवर्धन पूजा और 3 को भाई दूज मनेगी।

इस बार दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग में भेद हैं। इन मतभेदों को दूर करने के लिए देशभर में ज्योतिषियों और धर्म के विद्वानों ने अलग-अलग जगहों पर कई बार मीटिंग्स की हैं। इन मीटिंग्स के बाद अधिकतर ज्योतिषियों ने ये कहा है कि दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाना ज्यादा शुभ है।

देश का राष्ट्रीय पंचांग तैयार करने वाले खगोल विज्ञान केंद्र, कोलकाता ने अपने कैलेंडर में दीपावली 31 अक्टूबर को ही बताई है। भारत सरकार सहित MP, UP, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के कैलेंडर में भी दीपावली की तारीख 31 अक्टूबर को बताई गई है। इन सभी तर्कों को देखते हुए देश के अधिकतर हिस्सों में 31 अक्टूबर की रात ही लक्ष्मी पूजा की जाएगी। कुछ लोग 1 नवंबर को ये पर्व मनाएंगे।

*द्वारिका-तिरुपति में 31 को और अयोध्या-रामेश्वरम में 1 नवंबर को दीपावली*

काशी, उज्जैन, मथुरा-वृंदावन, नाथद्वारा, द्वारिका, तिरुपति मंदिर में 31 अक्टूबर को दीपावली मनेगी। वहीं, अयोध्या, रामेश्वरम, इस्कॉन और सभी निम्बार्क संप्रदाय वाले मंदिरों में 1 नवंबर को मनाई जाएगी। दैनिक भास्कर ने अखिल भारतीय विद्वत परिषद, काशी विद्वत परिषद और देशभर के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष से बात की। दोनों तिथियों पर ज्योतिषियों के अलग-अलग तर्क हैं।

*31 अक्टूबर को दीपावली मनाने के तर्क*

काशी और उज्जैन के ज्योतिषियों का कहना है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को लक्ष्मी पूजन का विधान नहीं, इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर को मनानी चाहिए।

31 तारीख को अमावस्या तिथि शाम 4 बजे शुरू हो जाएगी और अगले दिन शाम 6 बजे तक रहेगी। 31 को ही अमावस्या का संध्या काल (प्रदोष काल) है और रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त है।

लक्ष्मी पूजन करने का श्रेष्ठ समय अमावस्या की रात में ही रहता है, इस कारण 31 की रात लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।

तीज-त्योहार तय करने वाले निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु ग्रंथ के मुताबिक, जिस दिन प्रदोष काल (संध्या काल) और रात्रि में अमावस्या हो, तब दीपदान और लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। ऐसा 31 अक्टूबर को ही हो रहा है।

*1 नवंबर को दीपावली मनाने की तर्क*

अमावस्या तिथि 1 नवंबर को शाम 6 बजे तक रहेगी, इस कारण कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि 1 तारीख को पूरे दिन अमावस्या रहेगी, इस कारण इस दिन लक्ष्मी पूजा करनी चाहिए।

कुछ ज्योतिषियों का तर्क है कि जब कार्तिक अमावस्या दो दिन हो तो अगले दिन दीपावली मनानी चाहिए।

31 अक्टूबर को चतुर्दशी तिथि के साथ वाली अमावस्या रहेगी। चतुर्दशी तिथि को रिक्ता तिथि माना जाता है। इसलिए ये लक्ष्मी पूजन के लिए उचित नहीं है। 1 नवंबर को प्रतिपदा के साथ वाली अमावस्या में लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ रहेगा।

*29 अक्टूबर को धनतेरस*

इस दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती भी मनाते हैं।

धनतेरस की रात में यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है।

धनतेरस पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। धनतेरस पर नए बर्तन भी खरीदते हैं।

*30 अक्टूबर को रूप चौदस*

रूप चौदस को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसी वजह से इस पर्व को नरक चतुर्दशी कहते हैं।

रूप चौदस पर उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा है।

*31 अक्टूबर को करें लक्ष्मी पूजा*

मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। देवी ने भगवान विष्णु का वरण किया था। इस वजह से इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है।

दीपावली की रात भगवान गणेश, महालक्ष्मी, भगवान विष्णु के साथ शिव, देवी सरस्वती, कुबेर देव की भी पूजा करें।

*1 नवंबर को स्नान-दान की कार्तिक अमावस्या*

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करना चाहिए। दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान भी करें।

इस दिन शाम करीब 6 बजे कार्तिक अमावस्या तिथि खत्म हो जाएगी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू होगी।

*2 नवंबर को गोवर्धन पूजा*

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा है।

द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों से कहा था कि हमें कंस की नहीं, गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। तब से ही इस पर्वत की पूजा की जा रही है।

*3 नवंबर को भाई दूज*

भाई दूज का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है, जब बहनें अपने भाई को बड़े ही प्यार से तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं। इसके साथ ही सदैव रक्षा करने का वादा करते हैं। भाई दूज दिवाली उत्सव के पांचवें दिन मनाया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार, यह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जिसे लोग यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जानते हैं,पंचांग के आधार पर इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024, दिन रविवार को मनाया जाएगा।