अगहन मास में शंख पूजा करने की है परंपरा:रोज सुबह करें सूर्य की पूजा और कुछ देर बैठें धूप में, श्रीकृष्ण के मंत्रों का करें जप

नापासर टाइम्स। अभी हिन्दी पंचांग का नवां महीना अगहन चल रहा है। इसे मार्गशीर्ष भी कहा जाता है, ये महीना 8 दिसंबर तक रहेगा। ये महीना धर्म के साथ ही सेहत के नजरिए से भी बहुत खास है। इस महीने में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए, ध्यान और योग-प्राणायाम जरूर करें। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जप करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा कहते हैं कि अगहन मास श्रीकृष्ण की भक्ति को समर्पित है, क्योंकि श्रीकृष्ण ने खुद मार्गशीर्ष मास को खुद का स्वरूप बताया है। इस महीने में किए गए पूजा-पाठ से सकारात्मकता और शांति मिलती है। खान-पान के संबंध में सतर्कता रखने से सेहत अच्छी रहती है।

*ये हैं अगहन महीने की खास बातें*

इस महीने से शीत ऋतु का असर बढ़ने लगता है। वातावरण ठंडा होने लगता है, ठंडी हवाएं चलती हैं। आसमान साफ रहता है। सुबह-सुबह सूर्य की धूप अच्छी लगने लगती है। बारिश के बाद वातावरण में फैली नमी खत्म हो जाती है।

अगहन मास में रोज सुबह जल्दी उठने से और सैर करने से सेहत को फायदा मिलते हैं। इसी वजह से काफी लोग इन दिनों में सुबह-सुबह घूमना शुरू कर देते हैं।

सुबह के समय धूप में बैठने से शरीर को विटामिन डी मिलता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए हमारा शरीर तैयार होता है।

इस महीने में तेल मालिश करने की भी परंपरा है। सर्दी के दिनों में तेल मालिश करने से त्वचा का रूखापन खत्म होता है। शरीर में पर्याप्त नमी बनी रहती है।

*अगहन महीने में करनी चाहिए शंख की पूजा*

इस महीने में शंख की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पांचजन्य शंख का स्वरूप मानकर उसकी पूजा करनी चाहिए। शंख पूजा करते समय इस मंत्र का जप करें…

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।

निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते।।

तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।

शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते।।

*ऐसे कर सकते हैं शंख की पूजा*

घर के मंदिर में श्रीकृष्ण की पूजा करते समय प्रतिमा के साथ ही शंख भी रखें। शंख को भगवान का स्वरूप मानकर अभिषेक करें। कुमकुम, चंदन से तिलक करें। हार-फूल चढ़ाएं। भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।