नापासर टाइम्स। मार्च के अंतिम सप्ताह में चूरू-रतनगढ़ होकर बीकानेर-दिल्ली इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ेंगी। इस ट्रैक पर 98 फीसदी काम पूरा हो चुका है। बीकानेर ईस्ट से लेकर बीकानेर रेलवे स्टेशन तक 7 किमी इलेक्ट्रिक लाइन एवं बेनीसर पावर हाउस (टीएसएस) का काम कंपलीट होने वाला है। बीकानेर रेल मंडल के अधिकारी पूरे मंडल में सबसे पहले बीकानेर-रेवाड़ी इलेक्ट्रिक ट्रैक का काम पूरा करवाकर ट्रेन चलाने चाहते हैं। खुद बीकानेर डीआरएम इस काम की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
बता दें कि दिल्ली-बीकानेर इलेक्ट्रिक ट्रैक पर रेवाड़ी से दिल्ली पहले से ही कंपलीट है। रेवाड़ी-सादुलपुर, सादुलपुर से चूरू-रतनगढ़ व श्रीडूंगरगढ़ का विद्युतीकरण कंपलीट हो चुका है। श्रीडूंगरगढ़ से बीकानेर के बीच 98 फीसदी काम हो चुका है। केवल 7 किमी इलेक्ट्रिक लाइन को अंतिम रूप देना है तथा श्रीडूंगरगढ़ से आगे बेनीसर रेलवे स्टेशन पर बने टीएसएस (ट्रैक्शन सब स्टेशन या पावर हाउस) का काम को पूरा करना है। डीआरएम राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि बेनीसर-बीकानेर ईस्ट के बीच हुए इंस्पेक्शन में मिली कमियों काे दूर किया जा रहा है। साथ ही बीकानेर ईस्ट से बीकानेर स्टेशन तक इलेक्ट्रिफिकेशन का काम कंपलीट करने में जुटे है ताकि मार्च तक दिल्ली के लिए इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जा सके।
*चूरू से दिल्ली 4 घंटे में पहुंचेंगे, अभी लगते हैं साढ़े चार घंटे*
बीकानेर-रेवाड़ी इलेक्ट्रिक ट्रैक पर चार में से तीन पावर हाउस तैयार : बीकानेर से रेवाड़ी के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन को पावर सप्लाई देने के लिए चार ट्रैक्शन सब स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें जिले में सादुलपुर व रतनगढ़, महेंद्रगढ़ के पास गुढ़ा केमला में पावर स्टेशन बन चुके हैं तथा उनका निरीक्षण रिपोर्ट ओके है। श्रीडूंगरगढ़-बीकानेर के बीच बेनीसर ट्रैक्शन बस स्टेशन का काम भी जल्द से जल्द पूरा करने के लिए रेलवे के बिजली लाइन के अधिकारी लगे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि आगामी 15 दिन में दोनों काम कंपलीट करके उनका निरीक्षण करवा देंगे। बता दें कि बीकानेर-रेवाड़ी के बीच चार टीएसएस पर 25 किलाे वॉट के ट्रैक सब स्टेशन बनाए गए हैं, जाे इलेक्ट्रिक ट्रेनों काे बिजली की सप्लाई देंगे। प्रत्येक ट्रैक सब स्टेशन के निर्माण पर करीब 15 करोड़ रुपए रुपए खर्च होंगे।
*ऐसे होगी इलेक्ट्रिक ट्रेन काे पावर सप्लाई :*
रेलवे ने तार और इंजन में लगे पेंटोग्राफ पर ट्रेन चलने के दौरान घर्षण का दबाव ज्यादा न पड़े, इसलिए कई तरह की तकनीक अपनाई गई। अब लोहे के एंगल के सहारे तार को दौड़ाया जाता है। एक पोल में स्टे-ट्यूब, ब्रैकेट ट्यूब, स्टेडी ट्यूब, रजिस्टर आर्म्स लगे होते हैं, जिसके सहारे कैटनेरी वायर और कॉन्टैक्ट वायर को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ले जाया जाता है।
*रेवाड़ी-बीकानेर के बीच 4 टीएसएस; इनमें 2 चूरू में, 1-1 महेंद्रगढ़ व बीकानेर जिले में*
रेवाड़ी-बीकानेर- लालगढ़ ट्रैक पर गुढा केमला, सादुलपुर व रतनगढ़ में 25 किलाे वाॅट का ट्रैक सब स्टेशन चालू हाे चुका हैं। ट्रैक पर बेनीसर का काम जारी है। बीकानेर सबसे पहले बेनीसर पावर हाउस का काम कंपलीट करवाकर इस ट्रैक पर इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाना चाहता है, ताकि बीकानेर-दिल्ली के बीच डीजल इंजन की जरूरत नहीं पड़े तथा रेलवे अन्य कामों को पूरा करने में जुट जाए। पूरे बीकानेर मंडल में 19 में से 8 ट्रैक का ही काम कंपलीट हुआ है, पर राहत की बात ये है कि बीकानेर-रेवाड़ी ट्रैक पर तीन पावर हाउस ने तो काम करना भी शुरू कर दिया और चौथे को पूरा करने में अधिकारी लगे हैं।