नापासर टाइम्स। 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसे धनु संक्रांति कहते हैं। पंचांगों के मुताबिक ये राशि परिवर्तन सुबह करीबन 10 बजे हो रहा है। इसलिए शुक्रवार को ही ये संक्रांति पर्व मनेगा। इसी दिन स्नान-दान और सूर्य पूजा करने का महत्व रहेगा। इन सब के लिए पुण्य काल सुबह 10 से शाम 4 बजे तक रहेगा। इसी दौरान महा पुण्य काल यानी कई गुना शुभ फल देने वाला समय सुबह 10 से दोपहर 12 तक रहेगा।
*शुभ संयोग में संक्रांति*
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस बार संक्रांति पर्व पर आयुष्मान और शुभ नाम के योग बन रहे हैं। चंद्रमा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा। जिसके स्वामी सूर्य देव ही हैं। साथ ही अष्टमी तिथि भी रहेगी। इसके स्वामी शिव हैं। इस तरह शुभ संयोग में हो रही धनु संक्रांति देश के लिए शुभ और फायदेमंद रहेगी। इस दिन किए गए तीर्थ स्नान, दान और पूजा-पाठ से दुगना शुभ फल मिलेगा।
सूर्य के राशि बदलने को संक्रांति कहा जाता है और जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। ये कभी मार्गशीर्ष तो कभी पौष मास में आती है। इस बार ये पर्व सूर्य के ही महीने यानी पौष मास के दौरान पड़ रहा है। धनु संक्रांति पर्व हेमंत ऋतु में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन गर्म कपड़े, अन्न, कंबल, गुड़, तिल और जूते-चप्पल दान करने की परंपरा है।
*पूजा विधि*
1. सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं फिर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।
2. पूजा करें और दिनभर व्रत और दान करने का संकल्प लें।
3. पीपल और तुलसी को जल चढ़ाएं। इसके बाद गाय को घास-चारा या अन्न खिलाएं।
4. जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं और कपड़े दान कर सकते हैं।
5. सूर्योदय से दो प्रहर बीतने के पहले यानी दिन में 12 बजे से पहले पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए।