सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को:पितरों के लिए धूप-ध्यान और तर्पण करने का पर्व है फाल्गुन अमावस, सूर्य को अर्घ्य देकर करें दिन की शुरुआत

नापासर टाइम्स। सोमवार, 20 फरवरी को फाल्गुन मास की अमावस्या है। इस दिन महीने का कृष्ण पक्ष खत्म हो जाएगा। जब सोमवार को अमावस रहती है से उसे सोमवती अमावस कहा जाता है। इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान, श्राद्ध, तर्पण, नदियों में स्नान के बाद दान-पुण्य की परंपरा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक फाल्गुन अमावस्या पितरों को याद करने का पर्व है। इस दिन घर-परिवार के मृत सदस्यों के लिए धूप-ध्यान जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि अवमास्या पर किए गए श्राद्ध कर्म से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

*ऐसे कर सकते हैं पितरों के लिए धूप-ध्यान*

सोमवार सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर के मंदिर में पूजन करें।

दोपहर 12 बजे के बाद पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की तैयारी करें। गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं। धूप-दीप जलाएं।

जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें।

हथेली में पानी लें और अंगूठे की ओर से पितरों के लिए अर्पित करें।
धूप-ध्यान के बाद जरूरतमंद लोगों को खाना, अनाज और धन का दान करें।

*अमावस्या पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी*

सोमवार को शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, चंदन, हार-फूल आदि शुभ चीजें अर्पित करें। भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

ज्योतिष में चंद्र को सोमवार का कारक ग्रह बताया गया है। चंद्र देव की प्रतिमा की या शिवलिंग के मस्तक पर विराजित चंद्र की पूजा करें। चंद्र देव का दूध से अभिषेक करना चाहिए। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें।

हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप कर सकते हैं।

दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान विष्णु, महालक्ष्मी, श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।

अमावस्या पर गरीबों को अपनी शक्ति के अनुसार दान करें। अमावस्या पर आटे की गोलियां बनाकर किसी नदी-तालाब में मछलियों को खिलाएं।