नापासर टाइम्स। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र और बृहस्पति ग्रह को तारा माना गया है. शुभ और मांगलिक कार्य करने से पहले शुक्र-गुरु तारे के उदित स्वरूप पर जरुर विचार किया जाता है. इस साल अप्रैल में 25 तारीख को शुक्र तारा अस्त हो चुका है. शुक्र के अस्त होने पर सभी मांगलिक काम बंद हो जाएंगे. आइए जानते हैं शुक्र अस्त 2024 में कब, क्या है शुक्र अस्त का महत्व, क्यों नहीं होते इस दौरान शुभ काम.
*शुक्र अस्त 2024 डेट*
शुक्र तारा 25 अप्रैल 2024 को सुबह 05.19 पर अस्त हो जाएगा. शुक्र का उदय 29 जून 2024 को रात 07.52 मिनट पर पर होगा. करीब 66 दिनों के लिए विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, उद्यापन आदि मांगलिक कार्य पर रोक लग जाएगी.
*शुक्र अस्त का अर्थ*
सौरमंडल के नवग्रहों में शुक्र का विशेष महत्व है. शुक्र के आकाश में सबसे तेज चमकने वाला तारा माना जाता है. शुक्र जब सूर्य के दोनों ओर 10 डिग्री या इससे अधिक पास आ जाता है तो शुक्र अस्त हो जाता है.
*शुक्र अस्त में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य ?*
ज्योतिष में ग्रहों के राजा सूर्य के निकट जब कोई ग्रह एक तय दूरी पर आ जता है तो वह सूर्य ग्रह के प्रभाव से बलहीन हो जाता है, यही अवस्थ ग्रह का अस्त होना मानी जाती है. शुक्र चूंकि सुख, वैवाहिक जीवन, विलासता, विवाह, धन, ऐश्वर्य का कारक माने गए हैं. ऐसे में शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक कार्य में सफलता नहीं मिलती क्योंकि शुक्र अस्त अवस्था में कूपित होता है, जिससे व्यक्ति को इसके शुभ फल प्राप्त नहीं होते. यही वजह है कि शुक्र अस्त में शुभ काम की मनाही होती है.
*शुक्र अस्त में क्या न करें*
विवाह, गृह प्रवेश, बावड़ी, भवन निमार्ण, कुआं, तालाब, बगीच, जल के बडे होदे, व्रत का प्रारम्भ, उद्यापन, प्रथम उपाकर्म, नई बहू का गृह प्रवेश, देवस्थापन, दीक्षा, उपनयन, जडुला उतारना आदि कार्य नहीं करें. वधू का द्विरागमन शुक्र के अस्त काल में वर्जित है.