नापासर टाइम्स। कस्बे में स्टेशन रोड़ पर कैलाश चन्द्र अशोक कुमार आसोपा के वृंदावन निवास पर श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ पर रविवार सुबह तुलसी शोभायात्रा के बाद कथा का आरंभ हुआ,कथा व्यास कोलकाता प्रवासी भागवताचार्य श्रद्वेय श्री परमेश्वरलाल जी गुरुकृपा ने कथा के प्रथम दिन कहा कि आसोपा परिवार भाग्यशाली है जो भागवत कथा का आयोजन करके सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे है,कथा व्यास ने बताया कि बिनु परतीती होई नहीं प्रीति अर्थात माहात्म्य ज्ञान के बिना प्रेम चिरंजीव नहीं होता, अस्थायी हो जाता है। धुंधकारी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मसात कर लेें तो जीवन से सारी उलझने समाप्त हो जाएगी। द्रौपदी, कुन्ती महाभागवत नारी है। कुन्ती स्तुति को विस्तारपूर्वक समझाते हुए परीक्षित जन्म एंव शुकदेव आगमन की कथा सुनाई। अंत में संगीत एवं झांकी ने सबको कृष्ण रंग में सराबोर कर दिया। पश्चात गौकर्ण की कथा सुनाई गई।शास्त्री जी महाराज ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य केे सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मो के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया ओर धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वही धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल.कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया।मनुष्य जब अच्दे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है ओर हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियॉ हमारे साथ हो जाती है।
कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।