श्री कृष्ण ने दिया कर्म का ज्ञान,प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में अग्रसर रहना चाहिए-श्रद्वेय परमेश्वरलाल जी गुरुकृपा,भागवत कथा के पांचवे दिन कथा सुनने पहुंचे सैंकड़ो श्रद्धालु

नापासर टाइम्स। कस्बे में स्टेशन रोड़ पर कैलाश चन्द्र अशोक कुमार आसोपा के वृंदावन निवास पर श्रीमदभागवत कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। भागवताचार्य श्रद्वेय श्री परमेश्वरलाल जी गुरुकृपा ने कहा कि कृष्ण हिंदू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक 12 अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं। श्री कृष्ण का जन्म क्षत्रिय कुल में राजा यदु कुल के वंश में हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। नन्हें कृष्ण द्वारा जन्म के छठे दिन ही शकटासुर का वध कर दिया, सातवें दिन पूतना को मौत की नींद सुला दिया। तीन महीने के थे तो कान्हा ने व्योमासुर को मार गिराया। प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठा कर इंद्र के अभिमान को चूर-चूर किया। गोकुल में गोचरण किया तथा गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया। प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में अग्रसर रहना चाहिए। कथा में उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो आयोजक कैलाशचंद्र आसोपा महाराज ने बताया कि रात्रि में साढ़े सात बजे से नानी बाई रो मायरो का कार्यक्रम भी होगा।