नापासर न्यूज। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 19-22 सितंबर दोपहर 1:00-4:00 तक स्थान महेंद्रगढ़ पैलेस गली न. 18 बीकानेर में श्री हरी कथा का आयोजन किया गया है । कथा में साध्वी सुश्री ज्योत्सना भारती जी ने बताया कि मीराबाई के बालमन में कृष्ण की ऐसी छवि बसी थी कि किशोरावस्था से लेकर मृत्यु तक उन्होंने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना। बचपन से ही वह कृष्ण-भक्ति में रम गई थीं।मीराबाई के बचपन में हुई एक घटना की वजह से उनका कृष्ण-प्रेम अपनी चरम अवस्था तक पहुंचा। एक दिन उनके पड़ोस में किसी बड़े आदमी के यहां बारात आई। सभी औरतें छत पर खड़ी होकर बारात देख रही थीं। मीरा भी बारात देखने लगीं। बारात को देख मीरा ने अपनी माता से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है? इस पर उनकी माता ने कृष्ण की मूर्ति की ओर इशारा कर के कह दिया कि यही तुम्हारे दूल्हा हैं। बस यह बात मीरा के बालमन में एक गांठ की तरह बंध गई। मीरा ने गुरु की भूमिका की जीवन में अति महत्वपूर्ण बताया हैं मीरा ने गुरु के बारे में कहा है कि बिना गुरु धारण किए भक्ति नहीं होती। भक्तिपूर्ण इंसान ही प्रभु प्राप्ति का भेद बता सकता है। वही सच्चा गुरु है। स्वयं मीरा के पद से पता चलता है कि उनके गुरु रैदास थे।