नापासर टाइम्स। सावन का दूसरा प्रदोष व्रत आज 30 जुलाई दिन रविवार को है. आज सावन के दूसरे प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि समेत 3 शुभ योग बने हैं और आज रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी कैलाश तथा नंदी पर है. सावन में अधिक मास जुड़ने से यह महीना 59 दिनों का हो गया है, इस वजह से सावन में 2 की जगह 4 प्रदोष व्रत हो गए हैं. आज का प्रदोष व्रत सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष का है. रविवार होने की वजह से यह रवि प्रदोष व्रत है. इस व्रत को करने से रोगी व्यक्ति निरोगी हो जाता है. असाध्य रोगों से मुक्ति मिल सकती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं सावन के दूसरे प्रदोष व्रत का शिव आराधना मुहूर्त, पूजा विधि और रुद्राभिषेक समय.
*प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त*
सावन अधिक मास शुक्ल त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: आज, रविवार, सुबह 10:34 बजे से
सावन अधिक मास शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: कल, सोमवार, सुबह 07:26 बजे तक
प्रदोष पूजा मुहूर्त: आज, शाम 07:14 बजे से लेकर रात 09:19 बजे तक
रवि योग: आज, रात 09:32 बजे से कल सुबह 05:42 बजे तक
इंद्र योग: आज, प्रात:काल से लेकर सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज, सुबह 05:41 बजे से लेकर रात 09:32 बजे तक
*प्रदोष व्रत 2023 रुद्राभिषेक समय*
सावन के दूसरे प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक का सुंदर संयोग बना है. रुद्राभिषेक उस दिन करते हैं, जिस दिन शिववास होता है. आज रवि प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल से लेकर सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक शिववास कैलाश पर है. उसके बाद शिववास नंदी पर होगा. कैलाश और नंदी पर शिववास होना शुभ है. इसमें आप रुद्राभिषेक करा सकते हैं. आज रुद्राभिषेक समय पूरे दिन है.
*सावन का दूसरा प्रदोष व्रत और पूजा विधि*
आज प्रात:काल में स्नान करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करके प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें. आज रविवार के दिन सूर्य देव को एक लोटे में जल भरकर उसमें लाल चंदन, गुड़ और लाल फूल डालकर अर्घ्य दें. इसके बाद आप दिनभर व्रत रखें. इसमें ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और फलाहार पर रहें. दिन में शिव पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की व्यवस्था कर लें.
शाम को प्रदोष पूजा मुहूर्त के समय भगवान शिव की पूजा करें. सबसे पहले भगवान शिव का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. फिर चंदन, फूल, फल, माला, बेलपत्र, धतूरा, भांग, मदार पुष्प, शमी के पत्ते, अक्षत्, धूप, दीप, नैवेद्य, शहद, मिठाई आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें.
अब आप शिव चालीसा पढ़ें और रवि प्रदोष व्रत कथा सुनें. फिर घी के दीप से भगवान शिव जी की आरती करें. पूजा में कमियों के लिए माफी मांग लें. उसके बाद मनोकामना पूर्ति के लिए महादेव से प्रार्थना करें. रात्रि जागरण करें. अगले दिन सुबह स्नान और पूजा पाठ करने के बाद पारण करके प्रदोष व्रत को पूरा करें.
*प्रदोष व्रत का महत्व*
हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन व्रत और शिव पूजा करने से सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं. रवि प्रदोष व्रत रखने से आरोग्य मिलता है. व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है. उसके रोग दूर हो जाते हैं. प्रदोष व्रत रखने से संतान, सुख, समृद्धि, धन आदि की प्राप्ति होती है.