नापासर टाईम्स।पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है.
आषाढ़ महीने में पहला चतुर्थी व्रत बुधवार 07 जून 2023 को रखा जाएगा. चतुर्थी और बुधवार के दिन हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान की पूजा की जाती है. ऐसे में बुधवार के दिन संकष्टी चतुर्थी का पड़ता बहुत शुभ माना जा रहा है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आ रही बाधाएं व समस्याएं दूर होती है. संकष्टी चतुर्थी के दिन अगर आप भी भगवान गणेश को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो पूजा में भगवान की प्रिय इन चीजों को जरूर शामिल करें.
*संकष्टी चतुर्थी पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें*
_______________________________
*मोदक:*
भगवान गणेश को मोदक अतिप्रिय है. इसलिए गणेश जी की पूजा में मोदक जरूर चढ़ाएं. इसके बिना गौरी पुत्र गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है.
*लाल फूल:*
गणेशी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में उनकी पसंदीदा चीजों को जरूर शामिल करें. भगवान गणेश को लाल रंग के फूल पसंद है. इसी के साथ उन्हें गेंदा के फूल भी बहुत प्रिय है.
*सिंदूर:*
सिंदूर के बिना गणेश जी की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा में भी भगवान गणेश का सिंदूर से तिलक जरूर करें.
*दूर्वा:*
भगवान को दूर्वा घास अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं. आप 21 या 11 दूर्वा घास पूजा में जरूर चढ़ाएं. इससे न केवल बप्पा प्रसन्न होंते हैं, बल्कि भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं.
*केला:*
भगवान को केला बहुत पसंद है. लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा में गणेश जी को हमेशा जोड़े में ही केला चढ़ाना चाहिए. यानी 2, 4 या 6 केले चढ़ाएं. एक केला कभी भी भगवान गणेश को नहीं चढ़ाना चाहिए.
*आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त*
आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 06 जून, मंगलवार, देर रात 12 बजकर 50 से
आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का समापन: 07 जून, बुधवार, रात 09 बजकर 50 मिनट पर
ब्रह्म योग: आज सुबह से लेकर रात 10 बजकर 24 मिनट तक, उसके बाद इंद्र योग
*संकष्टी चतुर्थी का पूजा मुहूर्त:*
आज, सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक, उसके बाद सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक.
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय: आज, रात 10 बजकर 50 मिनट से
रुद्राभिषेक का शुभ समय: आज, प्रात: काल से लेकर रात 09 बजकर 50 मिनट तक
*संकष्टी चतुर्थी और पूजा विधि*
जिन लोगों को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखना है, वे लोग आज सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. उसके बाद हाथ में जल लेकर संकष्टी चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प लें. फिर शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर गणेश जी की स्थापना करें.
उसके बाद गणेश जी को लाल या पीले वस्त्र, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, पुष्प, फल, यज्ञोवपीत, पान, सुपारी, नारियल, हल्दी, दूर्वा की 21 गांठ आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम गं गणपतये नमो नम: या ओम गणेशाय मंत्र का उच्चारण करते रहें. पहला मंत्र मनोकामना पूर्ति का है.
इसके बाद गणपति बप्पा को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. फिर संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण करें. गणेश चालीसा का पाठ करें. घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें. उसके बाद क्षमा प्रार्थना करके मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.रात को चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करें. चंद्र देव को दूध, सफेद फूल, अक्षत् मिले जल से अर्घ्य दें. फिर रात में या अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.
*चंद्र अर्घ्य के बिना अधूरा है व्रत*
संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र अर्घ्य के साथ ही पूर्ण होता है. जो लोग गणेश पूजन के बाद रात में चंद्रमा की पूजा नहीं करते और अर्घ्य नहीं देते हैं, उनका व्रत अपूर्ण रहता है.