नापासर टाइम्स। शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत प्राइवेट स्कूल्स में पढ़ रहे गरीब बच्चों की फीस और पढ़ाई को लेकर शिक्षा विभाग अपनी व्यवस्था में परिवर्तन नहीं कर रहा। ऐसे में न सिर्फ स्कूल्स को भुगतान लेने में परेशानी हो रही है बल्कि छोटी-छोटी कमियों के चलते प्राइवेट स्कूल्स एडमिशन भी नहीं दे रहे। कारण साफ है कि हर छोटी कमी के लिए स्कूल का भुगतान रोक दिया जाता है, ऐसे में स्कूल ऐसे स्टूडेंट्स को एडमिशन लिस्ट से पहले ही बाहर कर देता है, जिनके रिकार्ड में कमी हो।
आधार कार्ड है बड़ी समस्या
आमतौर पर छोटे बच्चों का आधार कार्ड बनाते वक्त परिजन नाम पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। उदाहरण के रूप में अगर बच्चे नाम रामअवतार है और आधार कार्ड में रामावतार होता है। ऐसे बच्चे को प्राइवेट स्कूल में RTE के तहत एडमिशन नहीं मिलता। अगर उसका एडमिशन होता है तो फिजिकल वेरिफिकेशन के दौरान पेमेंट लिस्ट से उसका नाम हटा दिया जाता है।
ऐसे में बच्चा स्कूल में तो पढ़ेगा लेकिन उसकी फीस नहीं दी जाएगी। अब आधार कार्ड में संशोधन हो सकता है, ये गरीब व अनपढ़ अभिभावक को पता नहीं होता। जिसका खामियाजा प्राइवेट स्कूल भुगतते हैं। न सिर्फ बच्चे के नाम बल्कि माता-पिता के नाम में कमी भी पेमेंट रोकने का आधार होता है।
आठ साल फ्री पढ़ाना पड़ता है
ऐसे स्टूडेंट्स को प्राइवेट स्कूल्स को पहली से आठवीं क्लास तक फ्री पढ़ाना होता है। वर्तमान में राज्य में ऐसे सैकड़ों प्राइवेट स्कूल्स है, जहां स्टूडेंट्स पढ़ तो रहे हैं लेकिन सरकार उनकी फीस नहीं दे रही। ऐसे में सरकार तो भारी भरकम भुगतान बचा रही है लेकिन प्राइवेट स्कूल नुकसान उठा रहे हैं। एक स्टूडेंट की फीस अगर औसत दस हजार रुपए सालाना है तो आठ साल के अस्सी हजार रुपए प्रति स्टूडेंट का नुकसान होता है।
असल नुकसान स्टूडेंट्स को
आधार कार्ड सहित अन्य कागजात में छोटी-छोटी कमियों के चलते भुगतान रोकने का नुकसान अब गार्जन को हो रहा है। स्कूल हर छोटी कमी के लिए एडमिशन रोक देते हैं। मेरिट में नंबर होने के बाद भी उस स्टूडेंट का नाम हटा दिया जाता है। खास बात ये है कि स्टूडेंट्स को अपने रिकार्ड में सुधार के लिए समय भी नहीं दिया जाता।
अब पांच नवम्बर से जांच
इस बार शिक्षा विभाग पांच नवम्बर के बाद प्राइवेट स्कूल्स के रिकार्ड का वेरिफिकेशन करेगा। इस बार भी नियमों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है। विभाग ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी स्टूडेंट के रिकार्ड में कमी हो तो उसका भुगतान नहीं किया जाएगा। अलबत्ता स्टूडेंट को पढ़ाना होगा। इस बार भी स्टूडेंट्स को रिकार्ड में संशोधन करवाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है।
बदल सकता है रिकार्ड
अगर किसी के आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र सहित अन्य कागजात में किसी तरह की कमी है तो सरकारी व्यवस्था के तहत उसमें संशोधन हो सकता है। माता-पिता के पुराने रिकार्ड में भी संशोधन हो सकता है लेकिन शिक्षा विभाग ये संशोधन करवाने के लिए समय नहीं दे रहा। जिससे एडमिशन का हक रखने वाले गरीब स्टूडेंट अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे।