नापासर टाइम्स। रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते ट्रॉमा सेंटर पहुंचने वाले गंभीर घायलों के इलाज को लेकर संकट खड़ा होने लगा है। रविवार को पेट में आंत फटने से जख्मी मरीज का छह घंटे बाद ऑपरेशन हो पाया। इसके लिए भी परिजनों को डॉक्टरों की काफी मिन्नतें करनी पड़ी। ऐसे मरीज का तीन घंटे में ऑपरेशन होना जरूरी है। बाहर से लगाए डॉक्टर कहाँ ड्यूटी दे रहे है कोई जानकारी नही है।
परिजनों को डॉक्टरों की काफी मिन्नतें करनी पड़ी। ऐसे मरीज का तीन घंटे में ऑपरेशन होना जरूरी है। बाहर से लगाए डॉक्टर कहां ड्यूटी दे रहे, अस्पताल प्रशासन को भी इसकी खबर नहीं है।
नापासर निवासी शंकरलाल नाई के पेट की आंत फट गई थी। उसे काफी समय से पेट में इंफेक्शन था। दर्द रहता था। मगर दर्द का कारण पता नहीं था। लंबे इंफेक्शन से उसकी आंतें गलकर फट गई थीं। उसे दोपहर करीब डेढ़ बजे पीबीएम हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर लाया गया था। मरीज को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन ऑपरेशन के लिए परिजनों को डॉक्टरों से मिन्नतें करनी पड़ी।
आखिर सात बजे बाद उसे ओटी की टेबल पर लिया जा सका। रविवार को दिनभर में ट्रॉमा सेंटर में 13 गंभीर मरीजों को भर्ती किया गया, जिसमें दो के ही ऑपरेशन हो पाए। बाकी को आगे के लिए टाल दिया गया। रविवार को आउटडोर दो घंटे का ही होने के कारण मरीज भी कम आए। सर्जरी में किसी मरीज को भर्ती नहीं किया गया, जबकि मेडिसिन में आठ-दस मरीज की भर्ती किए जा सके।
सोमवार को रक्षा बंधन के कारण आउटडोर दो घंटे का ही होगा। गौरतलब है कि कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और उसकी हत्या के विरोध में पीबीएम हॉस्पिटल के पांच सौ से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर पांच दिन से हड़ताल पर हैं। दो दिन से इमरजेंसी भी छोड़ चुके हैं।
इमरजेंसी अब केवल फैकल्टी के भरोसे चल रही है। वार्ड खाली होने लगे हैं। भर्ती मरीजों को छुट्टी दी जा रही है। दूसरी तरफ 24 घंटे के बहिष्कार के बाद निजी अस्पतालों में रविवार से मरीजों को भर्ती करने से लेकर ऑपरेशन तक का काम फिर से शुरू हो गया है। पीबीएम के मरीज अब निजी अस्पतालों की ओर रुख करने लगे हैं।
हड़ताल के कारण जनाना हॉस्पिटल में नॉर्मल और सिजेरियन दोनों ही तरह की डिलीवरी कम हो गई है। नॉर्मल डिलीवरी रुटीन में 65 से 70 होती है, जबकि 45 ही हुई। इसी प्रकार सर्जरी से डिलीवरी के 25 के बजाय 14 केस ही हो सके। इनमें भी ज्यादातर केस गांवों से रेफर होकर आने वालों के हैं।