नापासर टाइम्स। वैशाख महीने में स्नान-दान करने का महत्व बताया गया है। ग्रंथों में कहा गया है कि इस पवित्र में किए गए स्नान-दान, व्रत, उपवास और पूजा से मिलने वाला पुण्य फल मिलता है। जो कभी खत्म नहीं होता। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। वहीं, तुलसी को लक्ष्मी जी का रूप माना गया है।
वैशाख महीने में भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा करने की भी परंपरा है। इस पवित्र महीने में भगवान के परशुराम, नृसिंह, कूर्म और बुद्ध अवतार की पूजा की जाती है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास किए जाते हैं। इस पवित्र महीने में पीपल की पूजा सुबह जल्दी करने का विधान है। साथ ही सुबह और शाम दोनों समय तुलसी की पूजा की जाती है और दीपक लगाया जाता है।
*पीपल पूजा:*
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पीपल की पूजा का भी खास महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल को चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितृ भी तृप्त हो जाते हैं।
*तुलसी पूजा:*
दूध और पानी से भगवान शालग्राम का अभिषेक करें और पूजन सामग्री चढ़ाएं। अभिषेक किए जल में से थोड़ा सा खुद पीएं और बाकी तुलसी में चढ़ा दें। इसके बाद हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल और अन्य पूजन सामग्रियों से तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए।
*जलदान से कई यज्ञों और तीर्थों का फल*
ग्रंथों में बताया गया है कि वैशाख महीने में तीर्थ स्नान और दान करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है। ये भी माना जाता है कि जितना पुण्य हर तरह के दान और कई तीर्थों के दर्शन से मिलता है, उसके बराबर पुण्य वैशाख महीने में जलदान करने से मिल जाता है। इसलिए इस महीने में तुलसी और पीपल को जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही पानी पिलाकर लोगों की सेवा करनी चाहिए।