रवि प्रदोष व्रत इस बार 10 दिसंबर यानी आज है. रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. यह मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत जब रविवार के दिन पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन सच्चे मन से की गई आराधना इंसान की हर मनोकामना को पूरा कर देती है. दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. तो आइए रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानते हैं.
*रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त*
इस बार प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जा रहा है. प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि 10 दिसंबर यानी आज सुबह 7 बजकर 13 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 11 दिसंबर यानी कल सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर होगा. आज प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 8 मिनट तक रहेगा.
*रवि प्रदोष व्रत की पूजन विधि*
सबसे पहले तांबे के लोटे में जल और शक्कर डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. जल की छींटें अपनी दोनों आंखों पर लगाएं. भगवान शिव के मंत्र नमः शिवाय का जाप करें. प्रदोष काल में शिव जी को पंचामृत से स्नान करवाएं. साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पित करें. आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय के मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें.
*रवि प्रदोष व्रत उपाय*
प्रदोष रविवार को पड़ने पर आयु वृद्धि, अच्छी सेहत का फल मिलता है. रवि प्रदोष एक ऐसा व्रत है जिसे करने से व्यक्ति लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त कर सकता है. रवि प्रदोष का व्रत करके सूर्य से संबंधित सभी रोग को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी व्रत या पूजा का फल तभी मिलता है, जब विधि विधान पूजन और ईश्वर का भजन किया जाए.
*प्रदोष व्रत के नियम*
1. घर में और घर के मंदिर में साफ सफाई का ध्यान रखें.
2. साफ-सुथरे कपड़े पहन कर ही भगवान शिव और सूर्य की पूजा करें.
3. सारे व्रत विधान में मन में किसी तरीके का गलत विचार ना आने दें.
4. अपने गुरु और पिता के साथ सम्मान पूर्वक बात करें.
5. सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव को समर्पण कर दें.