नापासर टाइम्स। नाग पंचमी का त्योहार भारत के खास पर्वों में से एक माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है. भारतीय परंपरा के अनुसार, नाग पंचमी साल में दो बार आती है. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की उपासना की जाती है. आइए जानते हैं नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि.
*नाग पंचमी शुभ मुहूर्त*
हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. पंचमी तिथि कि शुरुआत 21 अगस्त यानी आज रात 12 बजकर 21 मिनट पर होगी और समापन 22 अगस्त यानी कल रात 2 बजे होगा. नाग पंचमी का पूजा मुहूर्त 21 अगस्त यानी आज सुबह 5 बजकर 53 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.
*नाग पंचमी पूजन विधि*
नाग पंचमी के देव आठ देव माने गए हैं. इस दिन में अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की उपासना की जाती है. नाग पंचमी से एक दिन पहले चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दिया जाता है. फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा की जाती है. उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित किया जाता है. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है. सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर यह दूध सर्प को पिला सकते हैं. अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए.
*नाग पंचमी उपाय*
1. नाग पंचमी के दिन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंदन की लकड़ी से बनी 7 मौली शिव मंदिर में चढ़ाएं. इसके अलावा भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए शिवलिंग पर अर्क, पुष्प, धतूरा, फल और दूध से जलाभिषेक करें.
2. कुंडली में राहु केतु के दोष से मुक्ति के लिए इस दिन नाग देवता की उपासना करनी चाहिए.
3. नाग पंचमी के दिन अष्ट नागों की उपासना करें और साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का उच्चारण करें. इससे घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
*नाग पंचमी कथा*
पौराणिक कथा के अनुसार, जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे. जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया. नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की. इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया. आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था. तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी. वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.