नापासर टाइम्स। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। वैसे तो हर महीने में दो एकादशी तिथि होती है। एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में, लेकिन मोहिनी एकादशी का खास महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं। मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला और व्रतों में उत्तम व्रत है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल से छुटकारा पाकर विष्णु लोक को प्राप्त करता है। मोहिनी एकादशी के दिन पूजा अर्चना करने से मन को शांति मिलती है और धन, यश और वैभव में वृद्धि होती है। ऐसे में चलिए आज जानते हैं मोहिनी एकादशी की तिथि, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में…
*मोहिनी एकादशी 2023 कब है ?*
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 अप्रैल 2023 को रात 08 बजकर 28 मिनट से हो रही है। अगले दिन 01 मई 2023 को रात 10 बजकर 09 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदया तिथि 1 मई को प्राप्ति हो रही है, इसलिए मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई 2023, सोमवार को रखा जाएगा।
*मोहिनी एकादशी 2023 व्रत पारण समय*
मोहिनी एकादशी व्रत के पारण का समय 2 मई को सुबह 05 बजकर 40 से सुबह 08 बजकर 19 मिनट तक है। ऐसे में इस मुहूर्त में आप व्रत का पारण कर सकते हैं।
*मोहिनी एकादशी 2023 पूजा विधि*
मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
उसके बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और पूजा करें। फिर ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप जरूर करें।
उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों के साथ करें और रात को दीपदान करें। पीले फूल और फलों को अर्पण करें।
श्री हरि विष्णु से किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमा मांगे।
शाम को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें और रात में भजन कीर्तन करते हुए जमीन पर विश्राम करें।
फिर अगले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद ब्राह्मणों को आमंत्रित करके भोजन कराएं और उन्हें अपने अनुसार भेट दें।
इसके बाद व्रत का पारण करें।
*भगवान विष्णु ने रखा था मोहिनी रूप*
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत कलश निकला तब राक्षसों और देवताओं के बीच इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि अमृत का कलश कौन लेगा। इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। ऐसे में अमृत के कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुए, जिसके बाद सभी देवताओं ने विष्णु जी की सहायता से अमृत का सेवन किया। इसी दिन वैशाख शुक्ल की एकादशी तिथि थी, इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।