राजस्थान में 50 डिग्री पार कर सकता है पारा:अगले 7 दिन तक तपेंगे कई जिले, 5 दिन की देरी से आएगा मानसून, जानिए कब मिलेगी राहत

    नापासर टाइम्स। राजस्थान पिछले 7 दिनों से तप रहा है। अधिकांश जिलों का तापमान 44 से 48 डिग्री के बीच बना हुआ है। मौसम विभाग की मानें तो भीषण गर्मी का ये दौर यहीं नहीं थमने वाला। आगामी दिनों में पारा 2 से 3 डिग्री तक और चढ़ सकता है।

    अगर ये अनुमान सही गया तो तापमान 50 डिग्री को पार कर जाएगा। मौसम विभाग ने भी कहा है कि इस बार गर्मी कई रिकॉर्ड तोड़ सकती है।अगले एक सप्ताह तक सीवियर हीटवेव यानी और भी खतरनाक लू चलने का अनुमान है।

    इससे भी चिंताजनक बात यह है कि राजस्थान में मानसून 5 दिन आगे खिसकता जा रहा है। ऐसे में गर्मी से कब तक राहत मिलेगी? आखिर क्या वजह है इस बार असहनीय गर्मी का दौर देखने को मिल रहा है? क्या राजस्थान का क्लाइमेट बदल रहा है? आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। पढ़िए इस रिपोर्ट में….

    *बॉर्डर पर 50 हुआ पारा, मई महीने में गर्मी ने कई बार बनाए हैं रिकॉर्ड*

    बुधवार (22 मई को) के दिन भारत-पाक बॉर्डर (बाड़मेर से लगती सीमा क्षेत्र में) पर तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। हालांकि मौसम विभाग का यह अधिकारिक आंकड़ा नहीं है। बीएसएफ की ओर से लगाए गए तापमापी में 50 डिग्री सेल्सियस का तापमान देखा गया था।

    मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को प्रदेश के 25 से ज्यादा शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान दर्ज हुआ। यहां सबसे ज्यादा बढ़ोतरी बाड़मेर में दिखी, जहां 48 डिग्री तापमान दर्ज किया गया।

    मई महीने की बात करें तो 19 मई 2016 जोधपुर के फलोदी में 51 डिग्री तापमान रिकॉर्ड हुआ था। यह अबतक का सर्वाधिक तापमान है। वर्ष 2016 में 51 डिग्री तापमान का असर फलोदी में 3 दिनों तक देखने को मिला था। यहां तीनों ही दिन 50 डिग्री से ऊपर तापमान दर्ज हुआ था। इसी दिन (19 मई को) चूरू में सर्वाधिक तापमान 50.2 डिग्री दर्ज हुआ था। वहीं बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, कोटा और श्रीगंगानगर में 49.5 डिग्री दर्ज किया गया था।

    *जयपुर में 8 साल का रिकॉर्ड टूटा*

    जयपुर में 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 20 मई को 45.9 डिग्री अधिकतम तापमान दर्ज हुआ था। इससे पहले 2016 में 46.5 डिग्री तापमान मई महीने में दर्ज हुआ था। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, आगामी दिनों में यह रिकॉर्ड और भी बढ़ सकता है।

    पिछले 10 साल में मई के औसत आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 में 45.4 डिग्री, 2015 में 45.9 डिग्री, 2016 में 46.5 डिग्री, 2017 में 45.1 डिग्री, 2018 में 45.4 डिग्री, 2019 में 45.2 डिग्री, 2020 में 45.0 डिग्री, 2021 में 42.6 डिग्री, 2022 में 45.6 डिग्री, 2023 में 43.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ था।

    *गर्मी बढ़ने का कारण नौतपा या कुछ और?*

    25 मई से नौतपा शुरू होने जा रहा है। ज्योतिष के हिसाब से नौतपा में 9 दिनों तक भीषण गर्मी पड़ती है। लेकिन मौसम विभाग ज्योतिष गणना के आधार पर नहीं चलता।

    मौसम विभाग राजस्थान के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा का कहना है कि ऐसा नहीं है पहले गर्मी कम पड़ती थी। मई-जून के महीने में गर्मी पड़ती है। लेकिन कभी-कभी साइक्लोन से कुछ असर कम पड़ जाता है। एक प्रतिशत तक क्लाइमेट का भी असर हुआ है।

    IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, इस बार दो वजहों से राजस्थान सहित कई राज्यों में एक्सट्रीम हीट वेव और गर्मी देखने को मिल रही है…

    पहली वजह : इस साल अलनीनो एक्टिव होने से गर्मी का असर ज्यादा है। इसकी वजह से प्रशांत महासागर की सतह पर बहने वाली हवा और पानी के पैटर्न में बदलाव हो जाता है। भारत में हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से आने वाली मानसूनी हवाएं कमजोर होती हैं।

    अलनीनो का असर किसी साल ज्यादा होता है तो किसी साल कम, लेकिन हर बार मानसून पर इसका बुरा ही असर पड़ता है। इस साल हीटवेव और ज्यादा गर्मी पड़ने की एक वजह इसे भी माना जा रहा है।

    दूसरी वजह : दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के ऊपर एंटी साइक्लोन सिस्टम एक्टिव है। जमीन से करीब तीन किलोमीटर की ऊंचाई पर एक्टिव यह सिस्टम करीब 1000 KM से 2000 KM तक फैला है।

    यह एंटी साइक्लोन गर्म होकर ऊपर उठने वाली हवा को वापस जमीन की तरफ धकेलता है। इसकी वजह से राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में हीटवेव की परिस्थिति बनी है।

    *…तो 50 डिग्री! पार जा सकता है तापमान*

    मौसम विभाग के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा ने बताया कि राजस्थान में अभी 25 मई तापमान ऐसे ही बढ़ेगा। चूरू, पिलानी जैसे कई सेंटर पर जहां अभी 47 डिग्री सेल्सियस है वहां पर 2 से 3 डिग्री तापमान बढ़ सकता है। वहां पारा 49 तक जा सकता है। जोधपुर, उदयपुर और कोटा रीजन में गर्मी का असर बढ़ेगा। यहां पर रात के टेम्प्रेचर पर भी असर रहेगा।

    इसके अलावा जहां पर 42 से 44 डिग्री तापमान है, वहां 47 तक तापमान पहुंच जाएगा। आने वाले 7 दिनों में राजस्थान में गर्मी अपने तेवर अधिक दिखाएगी। इन दिनों हीटवेव चलती रहेगी।

    *मौसम विभाग की अगले 2 दिन की भविष्यवाणी*

    23 मई को चूरू, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, पिलानी, फलौदी, करौली, धौलपुर, डूंगरपुर, बारां, कोटा में 47 डिग्री तक तापमान रहा । मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है।

    24 और 25 मई को चूरू, बाड़मेर, श्रींगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, पिलानी, फलौदी, डूंगरपुर में 49 डिग्री तक तापमान जाने का अनुमान है। दोनों ही दिन मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।

    *कब मिलेगी गर्मी से राहत?*

    मौसम विभाग के अनुसार 31 मई के बाद ही इस भीषण गर्मी से राहत मिलने के आसार हैं। पूर्वी राजस्थान में जयपुर, दौसा, करौली, भरतपुर, धौलपुर सहित अन्य जिलों में हल्की बारिश होने के आसार हैं। लेकिन पश्चिम राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली सहित अन्य जिलों में 30 मई तक तापमान ऐसे ही बना रहेगा।

    *50 साल की रिसर्च : 5 दिन आगे खिसका मानसून, 15 दिन देरी से जा रहा*

    क्लाइमेट चेंज का राजस्थान में बहुत तेजी से असर देखने को मिल रहा है। जिन जिलों में कम बारिश होती थी वहां पर भी अब अधिक बरसात होने लगी है। रेतीले इलाकों में भी अच्छी बरसात देखी जा रही है। प्रतापगढ़, सिरोही, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, झालावाड़, बारां सहित अन्य जिलों में अच्छी बारिश हो रही है। जबकि जैसलमेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों में औसत बारिश हो रही हैै।

    डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा ने बताया कि मानसून अब 5 से 7 दिन देरी से आ रहा है। जबकि 15 दिनों की देरी से जा रहा है। मौसम विभाग ने दो साल पहले 1961 से लेकर 2010 तक पिछले 50 सालों का रिसर्च किया है जिसमें पता लगा कि पहले 15 जून को मानसून राजस्थान में पूरी तरह से सक्रिय हो जाता था। जबकि 1 सितंबर तक पूरी तरह से निकल जाता था।

    उन्होंने बताया कि इसके बाद 1971 से लेकर 2020 तक रिसर्च में पता लगा कि मानसून तय सीमा से 5 दिन देरी से आ रहा है। मानसून का एवरेज टाइम राजस्थान में 20 जून का हो गया है। जबकि मानसून के जाने का समय 16 दिन देरी का हो गया है। हालांकि जयपुर में मानसून आने का समय बढ़कर 25 जून से 1 जुलाई का हो गया है। 25 जून के बाद ही जयपुर में मानसून सर्किय होता है। मानसून के जाने का समय भी 20 सितम्बर तक हो गया है।

    *53 साल में बारिश भी बढ़ी*

    राजस्थान में 2011 से लेकर 2020 तक पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर ही नजर डालें तो राजस्थान में औसत 477 एमएम रिकॉर्ड बारिश हुई है। पिछले 10 वर्षों से बारिश का औसत 21 एमएम बढ़ा है।

    मौसम विभाग की गणना रिपोर्ट के अनुसार पिछले 53 सालों का रिकॉर्ड देखें तो 1961 से लेकर 2010 तक पहले औसतन 414.5 एमएम बरसात होती थी। जबकि 1971 से लेकर 2020 तक औसतन 435.6 एमएम बारिश हुई है।

    जयपुर में भी औसत बारिश रिवाइज हुई है। 2021 में जयपुर में 502 एमएम बारिश होनी थी लेकिन मानसून में 565.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। जयपुर में 63 एमएम बारिश अधिक हुई।

    *राजस्थान में मानसून कब तक आने की संभावना*

    दक्षिण भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू हो चुकी है। केरल में सामान्य तौर पर 31 मई को मानसून दस्तक देगा। इसके बाद दक्षिण भारत से होते हुए देश के बाकी पूर्वोत्तर राज्यों से मध्य भारत होते हुए उत्तर भारत में प्रवेश करेगा। राजस्थान में 20 जून के बाद मानसून की गतिविधियां शुरू होने का अनुमान है। मानसून की प्री-गतिविधियों में कहीं-कहीं हल्की बारिश होगी। राजस्थान में 21 जून से लेकर 29 जून तक मानसून एक्टिव होने का अनुमान है।

    *देरी से मानसून का क्या रहेगा असर?*

    तापमान बढ़ने से सब्जियों, दालों पर भी तापमान बढ़ने का बुरा असर हो सकता है। अगर ज्यादा गर्मी की वजह से मवेशियों के लिए चारा उत्पादन प्रभावित होता है, तो दूध का उत्पादन भी घट सकता है।

    जयपुर के दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में असिस्टेंट प्रोफेसर योगेश शर्मा ने बताया कि मानसून के देरी से आने पर फसल चक्र प्रभावित होता है। फसलें लेट हो जाती हैं। ऐसे में किसानों को मानसून के आने से पहले ही बुआई के लिए पूरी तैयारी रखनी चाहिए। खेत की साफ सफाई कर बीज लेकर रख लेने चाहिए। बीज ऐसे लेने चाहिए जोकि कम समय में उपज सकें।