Maha Navami Kanya Pujan Muhurt: महानवमी पर आज कन्या पूजन के लिए बस इतने घंटे का मुहूर्त, विधि और पारण का समय भी जानें*

    नापासर टाइम्स। आज चैत्र नवरात्रि की महानवमी है. इसे रामनवी भी कहते हैं. चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की उसापना के बाद कन्या पूजन किया जाता है. फिर पारण के बाद चैत्र नवरात्रि का महापर्व समाप्त हो जाता है. आइए जानते हैं कि इस बार नवरात्रि की महानवमी क्यों खास रहने वाली है. और नवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि क्या होगी.

    *क्यों खास है महानवमी?*

    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार महानवमी पर रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है. सनातन धर्म में रवि योग को बहुत ही शुभ माना गया है. रवि योग में सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है. महानवमी पर रवि योग पूरे दिन रहने वाला है.

    *मां सिद्धिदात्री की महिमा*

    चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नौवां और अंतिम स्वरूप हैं. इनकी पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं. मां सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और इनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म है. यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से नवरात्रि के 9 दिनों की उपासना का फल मिलता है.

    *कैसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा?*

    चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर सुबह स्नानादि के बाद देवी की आराधना और कन्या पूजन का संकल्प लें. मां सिद्धिदात्री के समक्ष एक घी का दीपक प्रज्वलित करें. उन्हें नौ कमल के फूल अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री को 9 प्रकार के पकवान, फल या मिठाई अर्पित कर सकते हैं. इसके बाद देवी के मंत्र “ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः” का यथाशक्ति जाप करें. फिर अर्पित किए हुए कमल के फूल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखें. देवी को अर्पित किए हुए खाद्य पदार्थों को पहले निर्धनों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.

    *कन्या पूजन विधि*

    मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कन्या पूजन प्रारंभ करें. इसके लिए सबसे पहले अपने कन्याओं के घर जाकर उन्हें भोज के लिए आमंत्रित करें. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और मां दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बैठाएं. इन कन्याओं के साथ एक बटुक यानी बालक भी बैठाएं. कन्याओं के साथ बैठे इस बटुक को भैरव का स्वरूप माना जाता है. इन सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए.

    इसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए. फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. इसमें हलवा, पूरी और चने का प्रसाद सबसे उत्तम माना जाता है. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें.

    *कन्या पूजन का मुहूर्त*

    इस बार रामनवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहने वाला है. यानी कन्या पूजन के लिए आपको 1 घंटा 24 मिनट का समय मिलेगा.

    *2 से 10 वर्ष की कन्या क्यों हैं खास?*

    2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है. कहते हैं कि कौमारी कन्या की पूजा से घर की दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक मोर्चे पर लाभ मिलता है.

    3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

    4. वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है और घर में खुशहाली आती है.

    5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. ऐसे घर में कभी रोग या बीमारी से लोग परेशान नहीं होते हैं.

    6 वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है.

    7 वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

    8 साल की कन्या को शांभवी कहा जाता है. कहते हैं कि 8 साल की कन्या का पूजन करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है.

    9 साल की कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. मान्यता है कि 9 साल की कन्या का पूजन से शत्रुओं पर विजयी मिलती है.

    10 साल की उम्र की कन्या सुभद्रा होती है. कहते हैं कि 10 साल की कन्या की पूजा से हर मनोकामना पूरी हो सकती है.

    *चैत्र नवरात्रि व्रत पारण का समय*

    चैत्र नवरात्रि में 9 दिन की व्रत-उपासना के बाद नवमी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस बाद चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01.23 बजे से 17 अप्रैल को दोपहर 03.14 बजे पर खत्म होगी. ऐसे में नवमी पर दोपहर 03 बजकर 14 मिनट के बाद आप चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण कर सकते हैं.