नापासर टाइम्स। आज देशभर में महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेंगी. यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का निर्जला उपवास रखती हैं. महिलाएं 16 श्रृंगार करके चंद्र देव के दर्शन करती हैं और सौभाग्यवती होने का वरदान मांगती हैं. इस बार का करवा चौथ बेहद खास रहने वाला है. ज्योतिष गणना के अनुसार, करवा चौथ पर 100 साल बाद बुधादित्य योग, आदित्य योग, शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एकसाथ बनने जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि करवा चौथ पर आज पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
*करवा चौथ का पौराणिक महत्व*
यह तिथि भगवान गणेश से संबंध रखती है. इसलिए वैवाहिक जीवन के विघ्ननाश के लिए इस व्रत को रखा जाता है. इस दिन मूलतः भगवान गणेश, गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. चंद्रमा को सामान्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है, इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख शांति और पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं.
*करवा चौथ शुभ मुहूर्त*
करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है. इस बार यह तिथि 31 अक्टूबर को रात 9.30 बजे प्रारंभ होगी और 1 नवंबर को रात 9.19 बजे इसका समापन होगा. उदिया तिथि के चलते करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा. करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.36 बजे से लेकर शाम 6.54 बजे तक रहेगा. इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 15 मिनट बताया जा रहा है.
*करवा चौथ की पूजन विधि*
करवा चौथ पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. यह व्रत निर्जला ही रखा जाता है. व्रत सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए. संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें. इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए खास मिट्टी के कलश) रखें. पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें. पूजा करें और कथा सुनें.
फिर शाम को चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू करें. परिवार या आस-पड़ोस की सभी महिलाएं साथ पूजा करें तो बेहतर होगा. चंद्रोदय होने पर छन्नी की मदद से चन्द्र दर्शन करें और अर्घ्य दें. इसके बाद पति की लम्बी आयु की कामना करें और श्रृंगार की सामग्री का दान करें. चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवा, रुपए आदि देकर उनसे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त करें.
*करवा चौथ की कथा*
करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी. एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया. रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया. उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी. अपनी सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गयी. सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला- व्रत तोड़ लो; चांद निकल आया है.बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आई और उसने खाने का निवाला खा लिया. निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला. शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही. अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसका पति पुनः जीवित हो गया.
*चंद्र दर्शन की तैयारियां और सावधानियां*
केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, ऐसी महिलाएं ही करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं. करवा चौथ पर काले या सफेद वस्त्र धारण न करें. अगर स्वास्थ्य अनुमति नहीं देता तो उपवास रखने से बचें. नीम्बू पानी पीकर ही उपवास खोलें.