मैं सुशीला डूडी.. अंशुमानसिंह.. जेठानंद सारस्वत.सिद्धी लगातार चौथी बार, विश्वनाथ तीसरी और सुमित गोदारा दूसरी बार सदन में

    नापासर टाइम्स। राजस्थान में नई विधानसभा गठन की शुरूआत बुधवार को पहले सत्र से हुई जब प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सर्राफ ने नवनिर्वाचित विधायको को शपथ दिलाई। राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 199 सीटों पर चुनाव हुए। इनमें जीतकर आये विधायकों ने बुधवार को शपथ ली। शेष विधायक गुरूवार को दूसरे दिन भी शपथ लेंगे। गुरूवार को विधानसभा अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। भाजपा ने पहले से ही वासुदेव देवनानी का नाम इसके लिए तय कर रखा है।

    पहली बार बने विधायकों का बोलबालाः

    भाजपा को 199 में से 115 सीटों पर जीत मिली है। ऐसे में पार्टी ने पहली बार जीते भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया है। शर्मा के साथ ही दीयाकुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। ऐसे में भजनलाल पहली बार विधायक होने के साथ ही बतौर मुख्यमंत्री ही पहली बार सदन में प्रवेश करेंगे। पहली बार बने विधायकों का इस बार प्रदेश से लेकर बीकानेर तक में बोलबाला दिख रहा है। भाजपा के 115 में से 46 विधायक ऐसे हैं जो पहली बार एमएलए बने हैं।

    बीकानेर: सात में से चार पहली बार, तीन भाजपा-एक कांग्रेस

    बीकानेर जिले की सात विधानसभा सीटों में से चार पर जीते प्रत्याशी पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें से तीन विधायक भाजपा के और एक कांग्रेस की है। जानिये कौन, कहां से पहली बार विधायकः

    सुशीला रामेश्वर डूडी: नोखा

    सुशीला डूडी नोखा से कांग्रेस की विधायक चुनी गई हैं। वे बीकानेर की इकलौती कांग्रेस एमएलए हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता रामेश्वर डूडी की पत्नी सुशीलादेवी को पार्टी ने उस स्थिति में मैदान में उतारा जब डूडी गंभीर रूप से अस्वस्थ हो गए। ऐसे में उन्हें सहानुभूति का लाभ भी मिला। त्रिकोणीय मुकाबले में उन्होंने भाजपा के विधायक बिहारीलाल बिश्नोई को हराया। यहां विकास मंच से कन्हैयालाल झंवर भी मैदान में थे।

    अंशुमानसिंह भाटी: कोलायत

    कोलायत से विधायक चुने गए अंशुमानसिंह भाटी सबसे कम उम्र वाले विधायकों में से एक हैं। उनकी उम्र 27 वर्ष हैं। भाजपा विधायक अंशुमानसिंह के पिता स्व. महेन्द्रसिंह भाटी बीकानेर से पहले भाजपा सांसद बने थे। इनके दादा देवीसिंह भाटी राजस्थान की राजनीति में कद्दावर नेता है। सात बार कोलायत से ही विधायक और कई विभागों के मंत्री रहे हैं। अंशुमानसिंह भाटी ने कांग्रेस भंवरसिंह भाटी को हराया जो गहलोत सरकार में ऊर्जा मंत्री थे।

    जेठानंद व्यासः बीकानेर पश्चिम

    राजस्थान के चौंकाने वाले चुनाव नतीजों में से एक बीकानेर पश्चिम का रहा जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता, मंत्री और एक ही इलाके से 10वीं बार चुनाव लड़ रहे डा.बी.डी.कल्ला को 20 हजार वोटों की बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। पहली बार चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के हिन्दूवादी चेहरे जेठानंद व्यास ने उन्हें चुनाव में पराजित किया। व्यास को संघनिष्ठ होने का लाभ भी मिला है।

    ताराचंद सारस्वतः श्रीडूंगरगढ़

    69 वर्ष के ताराचंद का विधानसभा में पहुंचने का सपना इस बार पूरा हुआ है। वे पिछला चुनाव भी भाजपा के टिकट पर लड़े थे लेकिन बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इस कड़े त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस के तीन बार विधायक रहे मंगलाराम को हराकर ताराचंद सारस्वत ने शानदार जीत दर्ज की। माकपा के विधायक गिरधारीलाल महिया यहां लगाार रेस में बने रहे। भाजपा के पूर्व विधायक एवं कद्दावर नेता किसनाराम नाई का खुला विरोध भी ताराचंद सारस्वत का रास्ता नहीं रोक पाया।

    बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धीकुमारी ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर सदन में प्रवेश किया है। इस बार उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष एवं बीकानेर पूर्व के प्रत्याशी यशपाल गलोत को 19 हजार से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराया। सिद्धी कुमारी इससे पहले कांग्रेस के डा. तनवीर मालावत, फिर से भाजपा में लौट आये गोपाल गहलोत, कन्हैयालाल झंवर को हरा चुकी है।

    डा. विश्वनाथ मेघवाल, खाजूवालाः गोविंदराम को हरा तीसरी बार विधायक

    डा. विश्वनाथ मेघवाल कांग्रेस के कद्दावर मंत्री गोविंदराम मेघवाल को 17374 वोटों से हराकर तीसरी बार विधानसभा में पहुंचे हैं। इससे पहले वे वसुंधरा राजे सरकार में संसदीच सचिव भी रह चुके हैं। मेघवाल इस सीट से अब तक लगातार चार चुनाव लड़े हैं। इसमें से एक 2018 का चुनाव वे गोविंद मेघवाल के हाथों हारे। एक रोचक बात यह भी है कि सभी चुनावों में गोविंदराम मेघवाल उनके साथ किसी न किसी पार्टी से रहे हैं। ऐसे में उन्होंने अब तक तीन बार गोविंदराम को हराया है।

    सुमित गोदारा लूणकरणसरः दूसरी बार विधायक

    भाजपा के सुमित गोदारा भी चौंकाने वाले नतीजों के साथ दूसरी बार लूणकरणसर से विधायक बने हैं। लूणकरणसर वह विधानसभा क्षेत्र है जहां इस बार पूरे राजस्थान की नजर थी और चुनाव पेचीदा था। कांग्रेस ने राजेन्द्र मूंड को टिकट दिया तो पूर्व मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल बागी बन गए। प्रभुदयाल सारस्वत भाजपा आइडियोलोजी के मजबूत निर्दलीय मैदान में थे। ऐसे में मुकाबला कड़ा चतुष्कोणीय हुआ। उन्होंने मूंड को 8869 वोटों से हराया।