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इस साल रंगों का पर्व होली पूरे हर्षोल्लास के साथ 25 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा. लेकिन, होली के ठीक एक दिन पहले फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर पूरे दिन भर भद्रा होने की वजह से होलिका दहन 24 मार्च को रात में ही किया जा सकेगा. आइए जानते हैं ज्योतिषियों के मुताबिक क्या है होलिका दहन का सही समय और अलग-अलग 12 राशियों के जातक अपने राशियों के मुताबिक रंगों का चयन करके किस तरह से अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं?
*होलिका दहन का शुभ मुहूर्त*
ज्योतिषी वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. लेकिन, फाल्गुन की पूर्णिमा में भद्रा के बाद ही होलिका दहन का विधान होता है. 24 मार्च को भद्रा सुबह में 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगी. इसलिए, उस दिन रात्रि में 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन किया जा सकता है.
*होलिका दहन पूजन विधि*
होलिका दहन करने वाले व्यक्ति को सर्वहित में सबका प्रतिनिधि बनकर संकल्प करना चाहिए और यह कामना करें कि सभी के पापों का नाश हो. ज्योतिषी वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि पूर्णिमा की समाप्ति पर अगले दिन सूर्योदय यानी प्रतिपदा के साथ ही रंग खेला जा सकता है. सूर्योदय से लेकर दोपहर के पहले तक रंग खेला जाना चाहिए. फिर, सायंकाल नए वस्त्र पहनकर होलिका के धुनि का वंदन करें. फिर घर में देवी देवता और पितरों के चित्र पर अबीर या रंग अर्पित करके, अपने बड़ों को जाकर अबीर गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
*12 राशियां करें इस तरह का रंगों का चयन*
12 राशियों के मुताबिक, होली पर रंगों का चयन करके होली खेलने के बारे में ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि-
1. मेष राशि वाले जातक लाल रंग से होली खेलें.
2. वृष राशि वाले श्वेत या हल्के पीले रंग से होली खेल सकते हैं.
3. मिथुन राशि वाले हरे रंग से होली खेलें तो लाभदायक होगा.
4. कर्क राशि वाले केसरिया रंग से खेलें.
5. सिंह वाले लाल रंग से होली खेलें.
6. कन्या और तुला वाले हरे रंग से होली खेलें.
7. वृश्चिक राशि वाले लाल रंग से होली खेलें.
8. धनु राशि वाले पीले रंग से होली खेलें.
9. मकर, कुंभ और मीन राशि वाले गाढ़े नीले या हल्के काले रंग से होली खेलें, लाभदायक होगा.
उन्होंने बताया कि इन्हीं रंगों के मुताबिक, अलग-अलग राशि वाले वस्त्रों को भी पहनकर अपने जीवन में ग्रहों के प्रभाव को कम करते हुए सुख शांति ला सकते हैं. उन्होंने बताया कि राशियों के स्वामी के मुताबिक, वस्त्रों को पहनने या उन रंगों को खेलने से आपके जीवन में ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होगी. जिनके लिए तमाम उपाय किए जाते हैं, वह उपाय बैठे-बैठे हो जाएंगे मात्र अपनी राशि के मुताबिक रंग खेलने से.
*होली का पौराणिक महत्व*
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है. कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती. भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गई. लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई. अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ. तब से होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है.