नापासर टाइम्स। शनिवार, 19 अगस्त को सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया है। इसे हरियाली तीज कहा जाता है। ये महिलाओं के लिए साल के सबसे बड़े व्रतों में से एक है। इस दिन किए गए व्रत उपवास से जीवन साथी को लंबी उम्र, सेहत और सौभाग्य मिलता है, ऐसी मान्यताएं हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, हरियाली तीज पर व्रत करने के साथ ही शिव-पार्वती का अभिषेक भी करना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं कर रहे हैं, उन्हें अभिषेक जरूर करना चाहिए। अगर अभिषेक करने का भी समय नहीं है तो घर में या किसी अन्य मंदिर में शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र चढ़ा सकते हैं।
*हरियाली तीज व्रत से जुड़ी खास बातें*
अधिकतर महिलाएं ये व्रत निर्जल होकर रखती हैं, यानी वे पूरे दिन कुछ भी खाती-पीती नहीं हैं, पानी भी नहीं। कुछ महिलाएं इस व्रत अन्न नहीं खाती हैं, वे पानी, दूध के साथ ही फलाहार करती हैं।
तीज व्रत देवी पार्वती से जुड़ा है। हिन्दी पंचांग के हर महीने में दो तीज आती हैं। इस तरह पूरे में साल में कुल 24 तीज होती हैं। जिस साल में अधिक मास रहता है, उस साल कुल 26 तीज हो जाती हैं, जैसी इस बार हुई हैं।
मान्यता है कि पुराने समय में देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस व्रत से शिव जी प्रसन्न हुए, देवी के सामने प्रकट हुए और मनचाहा वरदान दिया था। माना जाता है कि उस दिन तीज तिथि ही थी। तीज तिथि पर देवी का तप सफल हुआ था, इसी वजह से तीज तिथि पर देवी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है।
इस दिन सार्वजनिक जगहों पर जैसे किसी मंदिर में या किसी पार्क में पौधे लगाने की परंपरा भी है।
*ऐसे कर सकते हैं शिव-पार्वती का अभिषेक*
अभिषेक की शुरुआत गणेश पूजा के साथ करनी चाहिए। गणेश जी की प्रतिमा पर जल चढ़ाएं। पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद फिर से जल चढ़ाएं।
गणेश जी का श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें।
गणेश जी की पूजा के बाद शिव-पार्वती का अभिषेक करें। शिवलिंग और देवी प्रतिमा पर जल, दूध, पंचामृत चढ़ाएं। इसके बाद फिर से जल चढ़ाएं।
शिवलिंग का श्रृंगार चंदन और बिल्व पत्र से करें। देवी को लाल चुनरी, कुमकुम सुहाग का सामान चढ़ाएं। श्रृंगार करें। मिठाई और मोसमी फलों का भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में शिव जी और देवी पार्वती के मंत्रों का जप करें। शिव जी के ऊँ नम: शिवाय और देवी मंत्र ऊँ गौर्ये नम: का जप कर सकते हैं।
पूजा के बाद दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें। शिव-पार्वती की कथा पढ़ें, सुनें। जप-ध्यान करें। शाम को फिर पूजा करें और अगले दिन यानी चतुर्थी तिथि पर एक बार फिर पूजा करें, इसके बाद ये व्रत पूरा हो जाता है।