Guru Pradosh Vrat 2023: आज है गुरु प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त में करें शिव पूजा, शत्रुओं का होगा नाश

नापासर टाइम्स। आज 29 जनवरी को गुरु प्रदोष व्रत है. गुरु प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा करने और व्रत रखने से शत्रुओं का नाश होता है. यह माघ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. इस तरह से प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं. प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय में की जाती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि प्रदोष व्रत को करने से सुख, संतान, धन, संपत्ति, उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है. दिन के अनुसार प्रदोष व्रत होते हैं, जैसे आज गुरुवार को होने के कारण गुरु प्रदोष व्रत है.

*गुरु प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त*

माघ कृष्ण त्रयोदशी ति​थि का शुभारंभ: आज, दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से

माघ कृष्ण त्रयोदशी ति​थि का समापन: कल, 20 जनवरी, सुबह 09 बजकर 59 मिनट पर

भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त: शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक

अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: शाम 05 बजकर 49 मिनट से शाम 07 बजकर 30 मिनट तक

ध्रुव योग: आज सुबह से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक

शिववास: भगवान शिव का नंदी पर वास दोपहर 01 बजकर 18 मिनट तक. शिववास में रुद्राभिषेक करते हैं

*गुरु प्रदोष व्रत और पूजा विधि*

1. आज सुबह स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करें. उसके बाद गुरु प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें.

2. इसके पश्चात दैनिक पूजा करें. दिन में भक्ति, भजन, फलाहार करें. प्रदोष काल के समय में किसी शिव मंदिर या फिर घर पर ही भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक करें.

3. सबसे पहले गंगाजल और गाय के दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें. उसके बाद शिव जी को चंदन, फूल, भस्म, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, अक्षत्, शक्कर, शहद आदि अर्पित करें. इस दौरान पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करते रहें.

4. इसके बाद शिव चालीसा और गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. फिर घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करें. शिवजी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें.

5. आज तिल द्वादशी व्रत है तो तिल का दान जरूर कर लें. तिल दान से व्यक्ति को नरक का मुख नहीं देखना पड़ता है.

6. रात्रि के समय में शिव जागरण करें. शिव पुराण पढ़ें. अगले दिन सुबह में स्नान, पूजा पाठ और दान के बाद पारण करके गुरु प्रदोष व्रत को पूर्ण करें.