गोपाष्टमी 1 नवंबर को:इस तिथि पर कृष्ण ने पहली बार गाय चराई थीं इसलिए गाय और गोविंद पूजा का पर्व है ये*

नापासर टाइम्स। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के तौर पर मनाया जाता है। इस साल ये 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन गाय और गोविंद की पूजा-अर्चना करने से धन और सुख-समृद्धि बढ़ती है।

मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गाय चराई थी। यशोदा मईया भगवान श्रीकृष्ण को प्रेमवश कभी गौ चारण के लिए नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कन्हैया ने जिद कर गौ चारण के लिए जाने को कहा। तब यशोदा जी ने ऋषि शांडिल्य से कहकर मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए अपने श्रीकृष्ण को गौ चारण के लिए भेजा। मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। इसलिए गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।

*गौ वंश पूजा का महत्व*

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में गाय औरगौवंश की पूजा का विशेष महत्व बतायागया है। मान्यता है कि गौ सेवा करने वालोंके समस्त पाप नष्ट होकर उन्हें परमलोक मिलता है। पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि जिस दिन भगवान कृष्ण ने वन में गायों को चराने की शुरुआत की थी उस दिन के उपलक्ष्य में ये पर्व मनाते हैं।

– गीता में कहा है श्री कृष्ण नेगीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि ‘गवा॑ मध्ये बसाम्यहम्’ अर्थात में गायों के बीच में ही रहता हूं। – गोपाष्टमी पर गाय और बछड़े का स्नान करवाकर उनकी पूजन व श्रृंगार करें। इसके बाद उनकी आरती उतारकर प्रणाम करें। – मान्यता यह भी है कि गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं इसलिए गौ पूजन करने से सभी देवताओं की पूजा अपने आप हो जाती है। इसलिए परिवार के साथ गाय की परिक्रमा करनी चाहिए और हरा चारा खिलाना चाहिए। – इस दिन गायों के साथ भगवान कृष्ण की पूजा भी होती है। मान्यता है, ऐसा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है और सौभाग्य प्राप्ति होती है।