गोगा नवमी आज : जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, संतान प्राप्ति के लिए बहुत खास है ये दिन

नापासर टाइम्स। आज 8 सितंबर 2023 को गोगा नवमी का त्योहार मनाया जाएगा. वाल्मिकी समाज के लोग हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को अपने आराध्य गोगादेव जी की पूजा करते हैं. ये राजस्थान का मुख्य त्योहार है, हालांकि मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा में भी इसे मनाया जाता है.

कहते हैं गोगदेव सर्पों के देवता हैं इसलिए इस दिन सांपों की पूजा भी की जाती है. गोगा नवमी के दिन व्रत-पूजन करने से सर्प दंश का भय नहीं रहता साथ ही संतान सुख मिलता है. आइए जानते हैं गोगा नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा.

*गोगा नवमी 2023 मुहूर्त*

भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष नवमी तिथि शुरू – 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14

भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष नवमी तिथि समाप्त – 08 सितंबर 2023 को शाम 05 बजकर 30

सुबह का मुहूर्त – सुबह 07.36 – सुबह 10.45

दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 12.19 – दोपहर 01.53

शाम का मुहूर्त – शाम 05.01 – शाम 06.35

*गोगा नवमी पूजा विधि*

गोगादेव राजस्थान के लोकदेवता माने गए हैं इन्हें जाहरवीर भी कहा जाता है. गोगा नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर गोगादेव के लिए खीर, चूरमा, पकौड़ी आदि बनाएं.

महिलाएं मिट्‌टी से गोगा जी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती हैं. कई स्थानों पर गोगा देव की घोड़े पर चढ़ी हुई मूर्ति का पूजन किया जाता है. इस दिन घोड़े को दाल खिलाई जाती है. गोगा देव की कथा का श्रवण करते हैं.
मान्यता है कि रक्षाबंधन के दिन गोगा नवमी के दिन बहनें अपने भाइयों को जो रक्षा सूत्र बांधती हैं, उसे खोलकर गोगा देव जी को अर्पित किया जाता है.

कहते हैं जो महिलाएं संतान सुख से वंचित हैं गोगा नवमी पर गोगा देव जी की विधि विधान से पूजा करें तो उन्हें जल्द ही सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है.

*गोगा नवमी कथा*

पौराणिक कथा के अनुसार गोगा जी की माँ बाछल देवी की कोई संतान हीं थी. वह अक्सर परेशान रहती थी. एक दिन गोगामड़ी में गुरु गोरखनाथ तपस्या करने आए. बाछलदेवी ने गुरु गोरखनाथ के पास जाकर अपनी समस्या बताई तो उन्होंने उसे एक फल खाने को दिया और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि “ तेरा पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा. 9 माह बाद बाछल देवी को पुत्र हुआ तो उन्होंने उसका नाम गुग्गा रखा. बाद में इन्हें गोगा देव के नाम से जाना जाने लगा. ये गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे.