नापासर टाइम्स। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स को निशु्ल्क दूथ मिलेगा। सीएम गहलोत ने आज वीसी के जरिए अपने आवास से बाल गोपाल योजना का शुभारंभ किया। योजना के तहत कक्षा 1 से 8 तक के स्टूडेंट्स को हर मंगलवार और शुक्रवार को दूध मिलेगा। कक्षा 1से 5 तक के बच्चों को 150 मिली लीटर दूध जबकि कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 200 मिली लीटर दूध मिलेगा। मिल्क पाउडर से बना यह दूध प्रार्थना सभा के बाद दिया जाएगा। करीब 476 करोड़ रुपये योजना पर खर्च होंगे। सीएम गहलोत ने इस मौके पर मुख्यमंत्री निशुल्क यूनिफाॅर्म वितरण योजना भी शुरू की। स्टूडेंट्स को यूनिफाॅर्म के दो सेट दिए जाएंगे। सिलाई के लिए 200 रुपये दिए जाएंगे। इसमें करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन योजनाओं के माध्यम से विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के नामांकन व उपस्थिति में वृद्धि , ड्राॅप्ट आउट को रोकने एवं पोषण स्तर में वृद्धि व आवश्यक मैक्रो व माइक्रो न्यूट्रियंट्स करवाने में मदद मिलेगी।
*नो बैग डे का मतलब छुट्टी नहीं*
इस मौके पर सीएम गहलोत ने कहा कि हम पहले अमेरिका से गेहूं की भीख मांगते थे, लेकिन देश आत्मनिर्भर बन गया है। राजस्थान अब शिक्षा का हब बन रहा है। पहले बच्चे दूसरे राज्यों में जाते थे पढ़ने के लिए। लेकिन अब प्रमुख संस्थाएं राजस्थान में है। सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार ने नो बैग डे शुरू किया है। यह डे सह शैक्षणिक गतिविधियों के लिए है। इसका मतलब यह नहीं है कि उस दिन कुछ भी नहीं हो। कहीं नो बैग डे के दिन छुट्टी न मना ले। सरकार लगातार नौकरियां दे रही है। गुजरात में हालात बहुत खराब है।
*अगली बार सिलाई हुई ड्रेस देने की योजना है*
सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य को बहुत महत्व देती है। चिरंजीवी योजना किसी भी देश में नहीं है। राजस्थान ने यह माडल योजना शुरू की है। सीएम गहलोत ने कहा कि समाज के परिवर्तन में शिक्षकों की भूमिका होती है। ऐसे में सरकारी योजनाओं को लागू करने में ये भूमिक निभा सकते हैं। राजस्थान पूरी तरह से शिक्षित होना चाहिए। 22 पहले जब मैं सीएम था। तब शिक्षा आपके द्वार कार्यक्रम चलाया था। तब पानी बचाओ, बिजली बचाओ और सब को पढ़ाओ का नारा दिया था। सीएम ने कहा कि दोनों योनजाएं महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं परिजनों को भी इसका महत्व समझाना है। प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में एक जैसी ड्रेस होगी। सभी तरह का भेदभाव समाप्त होना चाहिए। सीएम गहलोत ने कहा कि सिलाई के लिए 200 रुपये दिए जा रहे हैं। 200 रुपये में सिलाई नहीं होती है, कुछ सहयोग परिजनों को भी करना चाहिए। टेलर से बात की जा सकती है। अध्यापकों को भी इसमें भूमिका निभानी चाहिए। अगली बार सिलाई हुई ड्रेस देने की योजना है।