नापासर टाइम्स। इस साल सावन महीने में अधिकमास या मलसास लगने के कारण इसकी अवधि दो महीने की हो गई है, जिसमें कुल 8 सावन सोमवार व्रत पड़ रहे हैं. अब तक 4 सावन सोमवार के व्रत रखे जा चुके हैं. वहीं आज यानी 07 अगस्त को भक्त पांचवा सावन सोमवार का व्रत रखेंगे.
बता दें कि सावन का पवित्र महीना मंगलवार 04 जुलाई से शुरू हुआ था, जिसकी समाप्ति 31 अगस्त को होगी. इस साल सावन माह में अधिकमास लगने के साथ ही कई दुर्लभ योग भी बने हैं, जो इसके महत्व और बढ़ा देते हैं. वहीं आज सावन की पांचवी सोमवारी पर भी कई शुभ योग का निर्माण हुआ है, जिसमें किए पूजा, व्रत, जलाभिषेक, उपाय का आदि का भक्तों को लाभ मिलेगा. आइए जानते हैं आज सावन के पांचवे सोमवार पर पूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि.
*पांचवा सावन सोमवार*
आज 07 अगस्त 2023 को सावन माह का पांचवा सोमवार है,जो अधिकमास की सप्तमी तिथि के दिन है. आज सुबह से लेकर देर रात 01:16 तक अश्विनी नक्षत्र रहेगा.
*शुभ योग*
आज सावन के 5वें सोमवार पर रवि योग और शूल योग का शुभ संयोग बना है, जिसमें किए पूजा-पाठ और व्रत का विशेष फल प्राप्ति होता है. आज सुबह 05:46 से लेकर अगले 01:16 तक रवि योग रहेगा. वहीं शूल योग 6 अगस्त शाम 08:27 से शुरू होकर आज शाम 06:18 तक रहेगा. सावन के पांचवे सोमवार पर शिवजी की पूजा के लिए दिनभर शुभ मुहूर्त रहा. वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:53 से शुरू होगा.
*पांचवे सावन सोमवार पर भद्रा का साया*
आज सावन के पांचवे सोमवार पर भद्रा का साया भी रहने वाला है. सुबह से ही भद्रा लग गई है. हिंदू धर्म में भद्राकाल में को शुभ नहीं माना गया है. मान्यता है कि, इस दौरान किए शुभ काम, व्रत आदि का फल नहीं मिलता है. लेकिन ज्योतिष के अनुसार, यह स्वर्ग की भद्रा है. इसलिए सावन सोमवार के व्रत और पूजन पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.
*भद्रा और राहुकाल का समय*
भद्रा: सुबह 07:26 से सुबह 09:06 तक
राहुकाल: सुबह 05:46 से शाम 04:41 तक
*सावन सोमवार पूजा विधि*
सावन के पांचवे सोमवार के दिन आज सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें आप शिवजी के मंदिर जाकर या घर पर भी सावन सोमवारी की पूजा कर सकते हैं. सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें. इसके बाद अक्षत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, दूध, पंचामृत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, भस्म, नैवेद्य आदि अर्पित करें. साथ ही पूजा के दौरान निरंतर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें. इसके बाद शिवलिंग के समक्ष धूप-दीप जलाएं और आरती करें. इस विशेष दिन पर शिव रक्षा स्तोत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र या शिव चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है.