नापासर टाइम्स। आज कजरी तीज है। ये साल की पांच तीज व्रतों में चौथा है। ये भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तीसरी तिथि को होता है। इस तिथि पर सुहागन महिलाएं भगवान शिव-पार्वती की पूजा और व्रत करती हैं।
ये तिथि 1 सितंबर की रात करीब 11.50 पर शुरू होगी और 2 सितंबर की रात तकरीबन 8.50 तक रहेगी, इसलिए 2 सितंबर को पूरे दिन व्रत रखकर शाम को चंद्रमा की पूजा के साथ व्रत खोला जाएगा।
*दिन में पूजा और रात में चंद्रमा को अर्घ*
कजरी तीज पर पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है।
इस दिन महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ एक जगह एकत्र होती हैं और पूरे दिन कजली के गीत गाते हुए नृत्य करती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। गाय की पूजा करने के बाद गाय को आटे की सात लोईयों पर गुड़ और घी रखकर खिलाया जाता है। उसके बाद व्रत का पारण किया जाता है।
*चांदी की अंगूठी और गेहूं के दानों के साथ अर्घ*
कजरी तीज पर संध्या को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ दिया जाता है। फिर उन्हें भी रोली, अक्षत और मौली अर्पित की जाती है। चांदी की अंगूठी और गेहूं के दानों को हाथ में लेकर चंद्रमा को अर्घ देते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करना चाहिए।
*पति की लंबी उम्र के लिए व्रत*
ये तीज महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन को अच्छा रखने के लिए करती हैं। इसके साथ ही माना जाता है कि अगर किसी लड़की की शादी में देरी या किसी भी तरह की रुकावटें आ रही है तो इस व्रत को जरूर करना चाहिए। इससे उसकी शादी जल्दी हो जाती है। मान्यता यह भी है कि सुयोग्य वर यानी अच्छा पति मिलता है। कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज भी कहा जाता है।