*स्नान-दान का पर्व:शुक्रवार को पौष पूर्णिमा पर बनेगा समृद्धि देने वाला संयोग; इस दिन तिथि, वार और ग्रह-नक्षत्रों से बनेंगे पांच शुभ योग*

नापासर टाइम्स। पौष महीने की पूर्णिमा को स्कंद और भविष्य पुराण में पर्व कहा गया है। इस बार ये पूर्णिमा 6 जनवरी को रहेगी। इस तिथि में स्नान-दान, श्राद्ध और विष्णु पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया है। इस दिन तिथि, वार और ग्रह-नक्षत्रों से पांच शुभ योग बन रहे हैं। जिससे खरीदारी और नई शुरुआत के लिए ये दिन खास रहेगा।

इस तिथि पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। तीर्थ या पवित्र नदियों के जल से स्नान किया जाता है। इस दिन किए गए दान और उपवास से अक्षय फल मिलता है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण यानी अपनी 16 कलाओं वाला होता है। इसलिए इस दिन किए गए शुभ कामों का पूरा फल मिलता है।

*सितारों का शुभ संयोग*

इस दिन चंद्रमा आर्द्रा नक्षत्र में होगा। जिससे पद्म नाम का शुभ योग पूरे दिन रहेगा। ब्रह्म और इंद्र नाम के शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। वहीं, सूर्य और बुध धनु राशि में होने से बुधादित्य और तिथि, वार, नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। इस दिन गुरु और शनि खुद की राशियों में रहेंगे। सितारों की ये स्थिति सुखद और समृद्धि देने वाली रहेगी। इस दिन किए कामों में सफलता मिलने की संभावना और बढ़ जाएगी। इस शुभ संयोग में किए गए स्नान-दान का कई गुना फल भी मिलते हैं।

*तीर्थ स्नान और पितृ पूजा का पर्व*

भारतीय संस्कृति में पौष पूर्णिमा का बहुत ही महत्त्व है। इस दिन गंगाजल या अन्य किसी पवित्र नदी के पानी से नहाकर भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इस पूर्णिमा पर पितरों की विशेष पूजा और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। इससे पितृ तृप्त होते हैं। सौभाग्य और समृद्धि के लिए इस पर्व पर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है।

*सोलह कलाओं वाला होता है चंद्रमा*

इस पर्व पर सूर्य और चन्द्रमा के बीच 169 से 180 डिग्री का अंतर होता है। जिससे ये ग्रह आमने-सामने होते हैं और इनके बीच समसप्तक योग बनता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण रहता है। इसलिए इस दिन औषधियों का सेवन करने से उम्र बढ़ती है। इस योग में किए गए कामों में सफलता मिलती है।

पूर्णिमा के स्वामी खुद चंद्रमा हैं। ज्योतिष के मुताबिक चंद्रमा का असर हमारे मन पर पड़ता है। इसलिए इस तिथि पर मानसिक उथल-पुथल जरूर होती है। शुक्रवार और पूर्णिमा तिथि से बनने वाले शुभ संयोग में किए गए कामों से सुख, समृद्धि और सौभाग्य मिलता है।

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