दिल्ली के लिए अगले महीने से चलेगी इलेक्ट्रिक ट्रेन: रेल विद्युतीकरण: बीकानेर मंडल में बनेंगे 19 ट्रैक सब स्टेशन, 8 तैयार

नापासर टाइम्स। बीकानेर मंडल में इलेक्ट्रिक ट्रेनों को पॉवर सप्लाई देने के लिए 19 ट्रैक सब स्टेशन बनेंगे। इनमें से आठ बनकर तैयार हैं। बाकी का काम तेजी से चल रहा है।

इस कार्य को वर्ष 2023 में कंपलीट करने का लक्ष्य रखा गया है। सबसे ज्यादा फोकस बीकानेर- दिल्ली ट्रैक पर है। ट्रैक मार्च 2023 तक शुरू किया जाना प्रस्तावित है।

यहां पर बेनीसर व लालगढ़ स्टेशन पर ट्रैक सबस्टेशन का काम तेजी से जारी है। सभी जगहों पर 25 किलो वॉल्ट के ट्रैक सब स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जो इलेक्ट्रिक ट्रेनों को बिजली की सप्लाई देंगे। प्रत्येक ट्रैक सब स्टेशन के निर्माण पर करीब 15 करोड़ रुपए रुपए व्यय किए जा रहे हैं।

उत्तर पश्चिम रेलवे अब तक 3531 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का कार्य कंपलीट कर चुका है। 1841 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का काम पूरा शेष है। रेलवे का दावा है कि शेष इलेक्ट्रिफिकेशन का वर्ष 2024 कंपलीट कर लिया जाएगा। उधर डीआरएम राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि बेनीसर-बीकानेर ईस्ट के बीच हुए इंस्पेक्शन में मिली कमियों को दूर किया जा रहा है। साथ ही बीकानेर ईस्ट से बीकानेर स्टेशन तक इलेक्ट्रिफिकेशन का काम कंपलीट करने में जुटे है ताकि मार्च तक दिल्ली के लिए इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जा सके।

रेवाड़ी -बीकानेर-लालगढ़ ट्रैक पर सब स्टेशन शुरू रेवाड़ी-बीकानेर-लालगढ़ ट्रैक पर गुढा केमला, सादुलपुर व रतनगढ़ में 25 किलो वॉल्ट का ट्रैक सब स्टेशन चालू हो चुका हैं। ट्रैक पर बेनीसर और लालगढ़ में काम जारी

है। रेवाड़ी -बठिंडा ट्रैक पर जाटूसाना, मनहेरू गड़ी भागी में सब स्टेशन शुरू हो गया है, जबकि सातरोड व डींग में काम तेजी से चल रहा है। रोहतक-भिवानी ट्रैक पर कलानुरकला और बठिंडा-सूरतगढ़ ट्रैक पर नावां चालू हैं। हनुमानगढ़-सादुलपुर ट्रैक पर नोहर में ट्रैक सब स्टेशन चालू कर दिया गया है। हनुमानगढ़-सूरतगढ़ ट्रैक पर चकमहाराजका व गजसिंहपुर, सूरतगढ़ – अनूपगढ़ ट्रैक पर कल्याणकोट, सूरतगढ़-लालगढ़ ट्रैक पर लूणकरणसर, राजियासर, लालगढ़-फलौदी ट्रैक पर भाप व कोलायत पर काम तेजी के साथ जारी है।

जानिए…कैसे मिलती है इलेक्ट्रिक ट्रेन को पावर सप्लाई रेलवे ने तार और इंजन में लगे पेंटोग्राफ पर ट्रेन चलने के दौरान घर्षण का दवाब ज्यादा न पड़े। इसे लेकर कई तरह की तकनीक अपनाई गई। अब लोहे के एंगल के सहारे तार को दौड़ाया जाता है। एक पोल में स्टे-ट्यूब, ब्रैकेट ट्यूब, स्टेडी ट्यूब, रजिस्टर आर्म्स लगे होते हैं, जिसके सहारे कैटनेरी वायर और कॉन्टैक्ट वायर को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ले जाया जाता है।

रेलवे रूट पर लगे तार को ओएचई ओवर हेड वायर (कैटनेरी सिस्टम) कहा जाता है। इसका उपयोग इंजन में इलेक्ट्रिक सप्लाई के लिए किया जाता है। इस तार में 25 हजार वोल्ट करंट रहता है। उच्च वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए इंसुलेटर का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही ऑटो टेंशन डिवाइस (तीन चकरी) लगा होता है जो तापमान को नियंत्रण करने का काम करता है।