नापासर टाइम्स। महज कुछ घंटों का और इंतजार। कल यानी 3 दिसंबर की सुबह 8 बजे से EVM का पिटारा खुल जाएगा। उसमें दर्ज जनता के वोटों की गिनती से तय होगा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अगली सरकार किसकी बनेगी।
कैसे होती है वोटों की गिनती, काउंटिंग हॉल में कौन-कौन मौजूद होता है, कोई गड़बड़ी होने पर कहां शिकायत करें; इलेक्शन एजुकेशन सीरीज के इस एपिसोड में ऐसे 12 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…
सवाल 1: मतगणना कब शुरू होती है और कितना समय लगता है?
जवाब: इलेक्शन कमीशन के मुताबिक वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होती है। किसी विशेष परिस्थिति में समय में बदलाव भी किया जा सकता है। सबसे पहले बैलेट पेपर और ETPBS यानी इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के जरिए दिए गए वोटों की गिनती होती है।
इस माध्यम से आमतौर पर सरकारी कर्मचारी वोट करते हैं। सर्विस वोटर में सैनिक, चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी और प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग होते हैं। इस प्रक्रिया में करीब आधे घंटे का समय लगता है।
साढ़े आठ बजे के बाद सभी टेबलों पर एक साथ EVM के वोटों की काउंटिंग शुरू होती है। मतगणना केंद्र पर मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO प्रत्येक राउंड की गिनती के बाद रिजल्ट बताते हैं और इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपडेट किया जाता है। मतों की गिनती का पहला रुझान सुबह 9 बजे से आना शुरू हो जाएगा।
चुनाव आयोग के मुताबिक, EVM के वोटों के अंतिम 2 राउंड की गिनती तभी की जा सकती है, जब निर्वाचन क्षेत्र के सभी डाक मतपत्र पहले ही गिने जा चुके हों। साफ है कि EVM पर वोटों की गिनती में लगने वाला समय वास्तव में इस बात पर भी निर्भर करता है कि मैनुअली डाक मतपत्रों की गिनती में कितना समय लगता है।
सवाल 2: मतगणना का प्रोटोकॉल क्या होता है?
जवाब: रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 128 और 129 के मुताबिक, मतगणना से जुड़ी जानकारी को गुप्त रखना बहुत जरूरी है। मतगणना से पहले कौन से अधिकारी किस निर्वाचन क्षेत्र की और कितने नंबर के टेबल पर गिनती करेंगे, ये सारी जानकारी पहले नहीं बताई जाती है।
सुबह 6 बजे तक सभी अधिकारियों को मतगणना सेंटर पहुंचना होता है। इसके बाद जिले के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और मतगणना केंद्र के रिटर्निंग ऑफिसर रैंडम तरीके से सुपरवाइजर और कर्मचारी को हॉल नंबर और टेबल नंबर अलॉट करते हैं।
किसी एक मतगणना हॉल में काउंटिंग के लिए 14 टेबल और 1 टेबल रिटर्निंग अधिकारी के लिए लगा होता है। किसी हॉल में 15 से ज्यादा टेबल लगाने के नियम नहीं है। हालांकि, विशेष परिस्थिति में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर टेबल की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जैसे- मध्य प्रदेश के इंदौर- 2 में इस बार 21 काउंटिंग टेबल लगाई गईं हैं।
सवाल 3: हर उम्मीदवार के कितने एजेंट हॉल में मौजूद रह सकते हैं?
जवाब: मतगणना के दौरान सभी टेबलों पर हर उम्मीदवार की ओर से एक एजेंट होता है। वहीं एक एजेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास बैठता है। इस तरह एक हॉल में किसी भी उम्मीदवार की ओर से 15 से ज्यादा एजेंटों को मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी जाती है। विशेष परिस्थिति में टेबल की संख्या बढ़ाए जाने पर एजेंटों की संख्या बढ़ सकती है।
सवाल 4: क्या एक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक ही काउंटिंग सेंटर होता है? जवाब: हां, एक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक ही काउंटिंग सेंटर होता है। संसदीय क्षेत्र के लिए मतगणना एक से ज्यादा जगहों पर भी की जा सकती है।
सवाल 5: मतगणना के दौरान उम्मीदवारों के एजेंटों की नियुक्ति कौन करता है?
जवाब: उम्मीदवार खुद अपने एजेंट चुनता है और स्थानीय निर्वाचन अधिकारी से अप्रूव करवाता है। निर्वाचन संचालन अधिनियम 1961 के प्रारूप- 18 में इस तरह के नियुक्ति की बात कही गई है। मतगणना एजेंटों की लिस्ट नाम और फोटो सहित काउंटिंग की तारीख से तीन दिन पहले जारी की जाती है।
सवाल 6: मतगणना के दौरान हॉल के अंदर गड़बड़ी न हो इसके लिए क्या नियम होते हैं?
जवाब: किसी गड़बड़ी को रोकने के लिए कुछ सावधानियां बरती जाती हैं। जैसे…
काउंटिंग के समय रिटर्निंग अधिकारी चाहें तो किसी भी एजेंट की तलाशी ले सकते हैं।
हर उम्मीदवार के एजेंट को एक तरह के बैज दिए जाते हैं, ताकी उन्हें देखकर समझ आ जाए कि वो किस उम्मीदवार के एजेंट हैं।
एक बार हॉल में आने वाले एजेंट को गिनती खत्म होने तक बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है।
रिटर्निंग अधिकारी हॉल से किसी भी व्यक्ति को निर्देश नहीं मानने पर बाहर कर सकते हैं।
हॉल के पास ही पीने का पानी, टॉयलेट, भोजन आदि की व्यवस्था रहती है।
मतगणना में तैनात कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा किसी को भी हॉल में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होती है।
हॉल में मौजूद पर्यवेक्षक अधिकारी हर राउंड की गिनती के बाद रेंडम किसी दो टेबल को सेलेक्ट करके दोनों टेबल के वोटों का मिलान करता है।
जब रिजल्ट का सही से मिलान हो जाता है तभी इसे डन कर वेबसाइट पर इसे अपडेट किया जाता है।
सवाल 7: मतगणना क्षेत्र के आसपास कुछ गड़बड़ दिखे तो क्या करें?
जवाब: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के मुताबिक, अगर मतगणना क्षेत्र के आसपास यानी 50 मीटर के अंदर ये 4 परिस्थितियां दिखें तो रिटर्निंग ऑफिसर शिकायत कर सकते हैं…
अगर कोई व्यक्ति मतगणना क्षेत्र में घुसने की कोशिश करे या फिर घुस जाए।
मतगणना क्षेत्र के आसपास अगर किसी व्यक्ति की एक्टिविटी पर आपको शक हो।
अगर किसी व्यक्ति के पास आपने कोई हथियार देखा है।
रिजल्ट आने के बाद आप उससे खुश नहीं हैं और आपको लग रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM में कोई गड़बड़ थी।
सवाल 8: अगर रिटर्निंग ऑफिसर शिकायत पर एक्शन नहीं लेता तो क्या करें?
जवाब: मतगणना के दिन किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत वहां मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर से करें। वह शिकायत पर एक्शन नहीं लेते हैं तो जिला निर्वाचन अधिकारी के पास फोन के जरिए, लिखित, फैक्स या फिर ईमेल से शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग से सीधे तौर पर शिकायत कर सकते हैं। शिकायत के लिए दिल्ली स्थित इलेक्शन कमीशन के ऑफिस में एक कंट्रोल रूम भी बना है।
सवाल 9: क्या इन बातों की शिकायत कुछ दिन बाद भी की जा सकती है?
जवाब: नहीं, इसकी शिकायत फौरन करनी चाहिए। आपको जैसे ही गड़बड़ी की आशंका हो ऑन द स्पॉट बताएं। देर करने का कोई मतलब नहीं। चुनाव आयोग ने इसके लिए 24 घंटे के अंदर का वक्त तय किया है।
यानी 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में काउंटिंग है। उस दिन सुबह 8 बजे से दूसरे दिन यानी 11 मार्च की सुबह 8 बजे तक ही शिकायत कर सकते हैं। एक बार रिजल्ट आ गया और नतीजों से आप खुश नहीं हैं तो उस रिजल्ट को सिर्फ कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
सवाल 9: मान लीजिए मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं। काउंटिंग वाले दिन किसी काम से दिल्ली में था। मुझे अपने राज्य की मतगणना में कुछ गड़बड़ होने की बात पता चली, तब भी क्या मैं शिकायत कर सकता हूं?
जवाब: हां, ऐसा आप कर सकते हैं। जिस व्यक्ति ने आपको इसकी सूचना फोन पर दी है, उसे सबसे पहले शिकायत ऑन द स्पॉट करनी चाहिए। वैसे तो आप देश-दुनिया के किसी भी हिस्से से इसकी शिकायत कर सकते हैं। बस इसके लिए आपकी सिटिजनशिप भारत की होनी चाहिए।
सवाल 11: मतगणना केंद्र पर काउंटिंग में गड़बड़ी के दोषी पाए गए तो क्या होगा?
जवाब: रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 136 के तहत मतगणना केंद्र पर गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी और नागरिक दोनों के लिए सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने वाले को 6 महीने से 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
सवाल 12: वोटिंग मशीन के बदलने या उससे छेड़छाड़ की शिकायत मिलने पर क्या होता है?
जवाब: किसी केंद्र पर वोटिंग मशीन बदलने या उसमें छेड़छाड़ की शिकायत मिलती है तो रिटर्निंग ऑफिसर तुरंत इसकी जांच करता है। अगर यह साबित हो जाता है कि वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की गई है तो उसे अलग रखा जाता है। उसमें रिकॉर्ड मतों की गिनती नहीं की जाती है।
इसकी सूचना राज्य और केंद्र के चुनाव आयोग कार्यालय को दी जाती है। पूरी तरह से मतगणना को रोकना जरूरी नहीं है। सिर्फ जिस मशीन को लेकर शिकायत मिली है, उसे ही अलग रखा जाता है।