नापासर टाइम्स। अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस बार एकादशी तिथि 3 और 4 दिसंबर को रहेगी। लेकिन विद्वानों के मुताबिक व्रत और पूजा 4 तारीख को ही करनी चाहिए। महाभारत, नारद और भविष्य पुराण में बताया गया है कि इस एकादशी का व्रत और पूजन करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती है।
*एकादशी तिथि कब से कब तक*
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 3 दिसंबर, शनिवार को सूर्योदय के बाद यानी सुबह करीब 8.10 से शुरू हो जाएगी। फिर अगले दिन यानी 4 दिसंबर, रविवार को सूर्योदय के बाद तकरीबन साढ़े 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगी। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र और काशी के प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि जब एकादशी तिथि दो दिन तक सूर्योदय के समय रहे तो दूसरे दिन ये व्रत-पूजा और स्नान-दान करना चाहिए।
*मोक्ष देने वाली एकादशी*
पौराणिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पाप खत्म हो जाते हैं और पूर्वजों को भी इससे मोक्ष मिलती है। इसलिए ये मोक्ष देने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से मिलने वाला पुण्य कई यज्ञ करने जितना होता है।
*गीता जयंती पर्व*
जब द्वापर युग में महाभारत चल रही थी। तब युद्ध के समय अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था उस दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी इसलिए इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन पहली बार भगवान के मुख से गीता का ज्ञान निकला था। इसलिए इसे गीता जयंती भी कहते हैं।