नापासर टाइम्स। आज (27 फरवरी) से होलाष्टक शुरू हो रहा है, ये होलिका दहन के बाद यानी 8 मार्च को खत्म होगा। होलाष्टक के दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कर्म नहीं किए जाते हैं। इन दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही ग्रंथों का पाठ करने की भी परंपरा है। इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य भी जरूर करें।होली से पहले वाले आठ दिनों में भगवान नृसिंह की पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि इससे रोग और दोष खत्म होते हैं। इन दिनों में खासतौर से भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण पूजा का जिक्र पुराणों में किया गया है। होलाष्टक के दौरान गोपाल और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही इन दिनों शिव-शक्ति आराधना का विधान भी है। इन दिनों मांगलिक काम भी नहीं किए जाते हैं।
*नृसिंह पूजा का विधान*
नृसिंह पूजा के लिए भी सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और पीले कपड़े पहनें। पीले चंदन या केसर का तिलक लगाएं। शुद्ध जल के बाद दूध में हल्दी या केसर मिलाकर अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को पीला चंदन लगाएं। फिर केसर, अक्षत, पीले फूल, अबीर, गुलाल और पीला कपड़ा चढ़ाएं। इसके बाद पंचमेवा और फलों का नैवेद्य लगाकर नारियल चढ़ाएं और धूप, दीप का दर्शन करवाकर आरती करें।
*भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण पूजा*
इन दिनों सूर्योदय से पहले नहाकर पीले कपड़े पहनें। गणेशजी की पूजा के बाद भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करें। भगवान की मूर्तियों को जल और पंचामृत से स्नान कराएं। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिला दूध भरकर अभिषेक करें। धूप-दीप जलाएं और तुलसी दल चढ़ाएं। पूजा में चावल नहीं, तिल अर्पित करें। आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय या क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र से पूजा करें।
*शिव-शक्ति पूजा*
होलाष्टक में महामृत्युंजय जाप करने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। इन दिनों में रूद्राभिषेक भी करना चाहिए। होली से पहले वाले इन आठ दिनों में दुर्गासप्तशती पाठ करने का विधान भी विद्वानों ने बताया है। होलिका अष्टक के दौरान इस तरह शिव-शक्ति आराधना करने से किसी भी तरह के अमंगल की आशंका नहीं रहती।