अश्वमेध यज्ञ का फल और अक्षय पुण्य देने वाली तिथियां:3 मई को वैशाख त्रयोदशी, 4 को चतुर्दशी और 5 को पूर्णिमा; ये स्नान-दान और पूजा के महापर्व

नापासर टाइम्स। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक हर तिथि महापुण्य देने वाली मानी जाती है, लेकिन इनमें भी आखिरी तीन दिन बहुत ही पवित्र और शुभकारी होते हैं। स्कंद पुराण में इन त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा तिथि को पुष्करिणी कहा गया है। यानी ये तीन दिन सभी पापों को खत्म करने वाले होते हैं।

पंडितों का कहना है कि इन तीन दिनों में भगवान विष्णु की आराधना से पूरे वैशाख महीने ब्रह्म मुहूर्त में तीर्थ स्नान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने का अक्षय पुण्य मिल जाता है।

वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अमृत प्रकट हुआ। द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। त्रयोदशी को भगवान ने देवताओं को अमृतपान करवाया। चतुर्दशी को देव विरोधी दैत्यों को मारा और पूर्णिमा पर सभी देवताओं को उनका साम्राज्य मिल गया था।

*भगवान विष्णु के तीन अवतार वाली तिथियां*

वैशाख मास के आखिरी तीन दिनों में भगवान विष्णु के तीन अवतार हुए हैं। इनमें सतयुग में त्रयोदशी तिथि पर भगवान विष्णु नृसिंह रूप में प्रकट हुए। जल प्रलय काल में इस चतुर्दशी पर भगवान विष्णु कछुए के रूप में प्रकट हुए थे। जिसे कूर्म अवतार कहते हैं। वहीं, वैशाख महीने की पूर्णिमा पर भगवान ने बुद्ध अवतार लिया था। जिसे बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाते हैं।

*देवताओं ने बनाया इन तीन तिथियों को खास*

देवताओं ने वैशाख महीने की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक हर तिथि को वरदान दिया। कहा कि वैशाख की ये तीन शुभ तिथियां मनुष्यों के पापों का नाश करने वाली होगी। इन दिनों में पुण्य कर्म करने से सुख और समृद्धि मिलेगी। जो इंसान पूरे वैशाख महीने सुबह जल्दी उठकर पुण्य स्नान न कर पाए वो सिर्फ इन तीन तिथियों में कर ले तो उसे पूरे वैशाख महीने का पुण्य मिल जाएगा।

स्कंद पुराण का कहना है कि वैशाख महीने के आखिरी तीन दिनों में गीता पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिल जाता है। इन तीन दिनों में भागवत कथा सुनने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इन तीन दिनों में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से कभी न खत्म होने वाला महापुण्य मिलता है।

इन आखिरी 3 दिनों में ग्रंथ पढ़कर और पुण्य कर्म कर के कितने ही मनुष्यों ने देवत्व पा लिया और सिद्ध भी हो गए, इसलिए वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियों में स्नान, दान और पूजन जरूर करना चाहिए। वैशाख महीने की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के मधुसूदन रूप का एक हजार नामों से दूध से अभिषेक करें तो वैकुंठ धाम मिलता है।