नापासर टाइम्स। जीवन में हर कोई चाहता है कि हमेशा खुशियों की बारिश हो, दुख के बादल कभी न आए. वक्त इंसान अच्छे-बुरे की पहचान करना सिखा देता है. चाणक्य नीतियां भी हमारी जिंदगी में कठिनाईंयों से पार पाने में मदद करती हैं. यह नीतियां मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. सही-गलत में फर्क करने की सीख देती है.
आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में एक ऐसी ही चीज के बारे में बताया है जिसे जीवन में किसी भी परिस्थिति में दांव पर नहीं लगाना चाहिए. वरना आपकी सारी अच्छाईयों पर पानी फिर जाएगा और व्यक्ति न घर का रहेगा न घाट का. आइए जानते हैं कौन सी है वो चीज.
*दूसरों के लिए अपने वजूद को दांव पर लगाना मूर्खता*
चाणक्य कहते हैं कि कलयुग में अधिकतर व्यक्ति अपने हित के लिए रिश्ते बनाते हैं. आप दूसरों के लिए कितनी भी भलाई क्यों न कर लें, वह तब तक ही आपका साथ देंगे जब तक उनका फायदा आपसे कहीं न कहीं जुड़ा है.
कई बार जहां ज्यादा विश्वास होता है वहां लोग अपना वजूद तक दांव पर लगा देते हैं लेकिन चाणक्य के अनुसार ऐसा करना मूर्खता है क्योंकि जिस दिन सामने वाले को लगेगा कि अब आप उसके काम नहीं आ सकते तो वह अपना असली चेहरा दिखा देगा.
हर व्यक्ति की अपनी पहचान है इसे दूसरों के लिए कुर्बान न करें. यही पहचान आपको दूसरों से अलग बनाती है. विश्वास और अंधविश्वास में बहुत फर्क है. अपनी पहचान (वजूद) किसी के लिए दांव पर लगाने से उसका मान सम्मान गिर जाता है. ऐसे लोग न सिर्फ बाहरी बल्कि भविष्य में विश्वास टूटने पर खुद की नजर में भी गिर जाता है. फिर न वो घर का रहता है न घाट का.
वजूद खोने पर व्यक्ति की सारी अच्छाइयां दरकिनार कर दी जाती है उसे चापलूस, दूसरों का गुलाम की नजरों से देखा जाने लगता है.