नापासर टाइम्स। शनि देव की कृपा मिलने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं. लेकिन इस शानिवार 11 मार्च , 2023 को इस शुभ संयोग से आप शनिदेव के साथ-साथ गणेश जी की भी कृपा पा सकते हैं. 11 मार्च को बन रहे इस शुभ संयोग का फल प्राप्त करके आप गणेश जी और शनिदेव महाराज दोनों का आशीर्वाद ले सकते हैं. इस 11 मार्च शनिवार के दिन भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी भी पड़ रही है. इस दिन आप गणेश जी की पूजा करके इनको प्रसन्न कर सकते हैं.
इस दिन आप गणेश भगवान के साथ -साथ शनिदेव की भी पूजा-अर्चना कर सकते हैं, इस दिन आपको दोनों की पूजा का फल प्राप्त होगा. शनि देव महाराज को प्रसन्न करने के लिए आप शनि मंदिर जाकर शनि देव की पूजा करें, तेल का दीपक जलाएं और काले तिल शनि देव को अर्पित करें.
चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना और उनकी उपासना की जाती है. हर माह में दो चतुर्थी तिथि आती हैं. एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी माना जाता है. हर माह में आने वाली चतुर्थी का अपना अलग महत्व होता है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
इस बार संकष्टी चतुर्थी 11 मार्च, शनिवार के दिन पड़ रही है, इस वजह से इस दिन शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन पर शनिदेव के साथ-साथ गणेश भगवान का भी आशीर्वाद ले सकते है.चैत्र माह में पड़ने की वजह से इसे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं.आइये जानते हैं भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
*भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी तिथि एवं चंद्रोदय*
चैत्र संकष्टी चतुर्थी प्रारंभ- 09:42 रात (मार्च 10, 2023, शुक्रवार)
चैत्र संकष्टी चतुर्थी समाप्त- 10:05 रात (मार्च 11, 2023, शनिवार)
चन्द्रोदय का समय- 10:03
*व्रत विधि: फलाहार और दूध ही ले सकते हैं*
सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और सूर्य के जल चढ़ाने के बाद भगवान गणेश के दर्शन करें। गणेश जी की मूर्ति के सामने बैठकर दिनभर व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत में पूरे दिन फल और दूध ही लिया जाना चाहिए। अन्न नहीं खाना चाहिए। इस तरह व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती है। भगवान गणेश की पूजा सुबह और शाम यानी दोनों वक्त की जानी चाहिए। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा करें।
*पूजा विधि: पहले गणेश पूजा फिर चंद्रमा को अर्घ्य*
पूजा के लिए पूर्व-उत्तर दिशा में चौकी स्थापित करें और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें। गणेश जी की मूर्ति पर जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें और उसके बाद ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करने के बाद आरती करें। इसके बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।