नापासर टाइम्स। चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन 25 मार्च 2023 को मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी. कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी. इन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने वालों को रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है. कहते हैं मां कूष्मांडा जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अष्ट सिद्धियां और निधियां प्राप्त हो जाती है. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के चौथ दिन मां कूष्मांडा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और उपाय.
*चैत्र नवरात्रि 2023 तीसरे दिन का मुहूर्त*
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू – 23 मार्च 2023, शाम 06.20
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त – 24 मार्च 2023, शाम 04.59
शुभ (उत्तम) – सुबह 07.52 – सुबह 09.24
रवि योग – सुबह 06.20 – दोपहर 01.19
*मां कूष्मांडा की पूजा विधि*
नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के बाद हरे रंग के वस्त्र पहने. इस दिन कुम्हड़े की बलि देकर माता को अर्पित करना चाहिए. कुम्हड़ा वो फल है जिससे पेठा बनता है. माता को मेहंदी, चंदन, हरी चूड़ी, चढ़ाएं. देवी कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है. लंबे वक्त से अगर कोई घर में बीमार है या आए दिन बीमारियों का डेरा रहता है तो माता कूष्मांडा के बीज मंत्र का 108 बार जाप या देवी कवच का पाठ करें. माता की कथा सुनें. मान्यता है इससे असाध्य रोग भी खत्म हो जाते हैं.
मां कूष्मांडा का प्रिय भोग – मालपुआ
मां कूष्मांडा का प्रिय रंग – हरा
*मां कूष्मांडा के उपाय*
जानकारों के अनुसार देवी के इस स्वरूप की उपासना से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर किए जा सकते हैं. मां कूष्मांडा की पूजा वाले दिन बुध के अशुभ प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति के उम्र जितनी हरि इलाइची लें और फिर एक-एक कर ये इलाइची मां के चरणों में चढ़ाते जाएं. इस दौरान ये मंत्र बोलें “ॐ बुं बुधाय नमः”. अगले दिन सारी इलाइची को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर सुरक्षित रख लें. मान्यता है इससे वाणी और बुद्धि में निखार आता है और स्वास्थ लाभ मिलता है.
*मां कूष्मांडा मंत्र*
कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
ॐ कूष्माण्डायै नम:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।
*मां कूष्मांडा का स्तोत्र*
मां कूष्मांडा का ध्यान
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
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