नापासर टाइम्स। गर्मी के मौसम में इस बार भी 70 दिन की नहरबंदी होगी, पंजाब सरकार ने नहर की मरम्मत की तैयारी शुरू कर दी है। नहरबंदी के दौरान पीने का पानी नहीं मिलेगा। पीएचईडी के भंडारण से ही जिले में पेयजल सप्लाई किया जाएगा। इसलिए पेयजल की भारी किल्लत का सामना जनता को करना पड़ेगा। 28 मार्च से 27 अप्रैल तक तो शहरों में कटौती नहीं होगी. लेकिन
किल्लत का सामना जनता को करना पड़ेगा। 28 मार्च से 27 अप्रैल तक तो शहरों में कटौती नहीं होगी, लेकिन 28 अप्रैल से 28 मई तक पूरी तरह नहर से पानी बंद हो जाएगा।
2021 में 70 दिन और 2022 में 60 दिन की नहरबंदी हुई थी। इस दौरान पंजाब सीमा में 120 किलोमीटर लंबी इंदिरा गांधी नहर फीडर और मेन कैनाल के 65 किमी हिस्से की मरम्मत होनी थी। दो सालों में दोनों मिलाकर 112 किलोमीटर मरम्मत हो चुकी है। इस साल 65 किलोमीटर नहर दुरुस्त करने के टेंडर पंजाब सरकार कर रही है। केन्द्र सरकार, राजस्थान और पंजाब सरकार एक एमओयू के तहत नहर की मरम्मत का जिम्मा पंजाब को 2018-19 में दिया था। जिस पर करीब 3291 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। पिछले साल नहरबंदी के ठीक पहले पंजाब में नहर टूटने की वजह से जलस्रोत नहीं भर पाए और भारी किल्लत हुई थी।
इसीलिए बीकानेर में 2 दिन छोड़कर भी जलापूर्ति हुई थी। इस साल अभी तक के हालात के हिसाब से 27 अप्रैल तक नहर से सभी 11 जिलों के जलस्रोतों को पानी मिलता रहेगा। 28 मार्च तक सभी जलस्रोत लबालब कर दिए जाएंगे। 28 अप्रैल से पूरी तरह नहर
से पानी बंद हो जाएगा और फिर एक महीना पूरी तरह जमा पानी से ही काम चलाना होगा। एमओयू के तहत नहर मरम्मत का काम 2022 में पूरा करना था लेकिन 2019 में टेंडर ना होने और 2020 में कोरोना के कारण देर हो गई।
28 अप्रैल से 28 मई तक पूरी तरह बंद रहेगी नहर पंजाब सरकार ने नहर मरम्मत के लिए टेंडर शुरू कर दिए है। उम्मीद है इस साल 65 किमी नहर दुरुस्त हो जाएगी। ऐसा हुआ तो मरम्मत का काम पूरा हो जाएगा और अगले साल से 70 दिन की नहरबंदी नहीं होगी। फिर वापस 15 दिन की नहरबंदी हुआ करेगी। – अमरजीत मेहरड़ा, चीफ इंजीनियर जल संसाधन विभाग हनुमानगढ़
बीकानेर में 18 दिन के भंडारण की क्षमता, 10 जिले प्रभावित
बीकानेर के शोभासर जलाशय में साढ़े पांच मीटर और बीछवाल में पौने छह मीटर पानी भरने के बाद करीब 18 दिन तक शहर की जलापूर्ति की जा सकती है, लेकिन नहरबंदी का असर यहां 35 से 36 दिन तक पड़ेगा। ऐसे में प्रशासन एक दिन छोड़कर एक दिन पानी देने की योजना बना रहा है। इसको लेकर नहर
और पीएचईडी के बीच मीटिंग भी हो चुकी है नहरी क्षेत्र में सबसे कम पानी का भंडार जोधपुर में है इसलिए राजीव गांधी लिफ्ट में पानी जोधपुर के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। नहरबंदी का असर बीकानेर, श्रीगंगागनर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, चूरू, नागौर, सीकर और झुंझुनूं तक होगा।
जोधपुर को सप्ताई का दबाव ना हो तो रुक सकती है कटौती
पिछले साल बीकानेर में इतनी किल्लत नहीं होती अगर मुख्यमंत्री के गृह जिले को पूरा पानी देने का दबाव ना होता तो। इस साल भी अगर सीएमओ से लेकर जल संसाधन मंत्रालय सीएम के शहर के लिए अतिरिक्त पानी देने का दबाव ना बनाए तो बीकानेर में कटौती रुक सकती है। दरअसल नहर में पानी भरकर रखा जाता है और बीछवाल-शोभासर जलाशय खाली होने पर नहर के पानी से उन्हें वापस भर दिया जाता है। ऐसे में कटौती से बचा जा सकता है। 2021 में ए ेसा हुआ था लेकिन 2022 में सीएम के शहर को पानी देने के लिए मंत्री से लेकर सीएमओ और जल संसाधन विभाग सक्रिय हो गया था। बीकानेर के तीनों मंत्री सीएमओ के आगे बौने साबित हुए थे।