नापासर टाइम्स। शुक्रवार, 29 सितंबर को भाद्रपद की पूर्णिमा है और इस दिन ये महीना खत्म हो जाएगा। शुक्रवार को पूर्णिमा पर श्राद्ध किया जाएगा। इसके बाद 30 सितंबर यानी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पितृ पक्ष शुरू होगा। भादौ पूर्णिमा पर विष्णु-लक्ष्मी की पूजा के साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान और दान-पुण्य जरूर करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शुक्रवार और पूर्णिमा के योग में भगवान विष्णु, महालक्ष्मी सूर्य देव, चंद्र देव और शुक्र ग्रह की भी पूजा करें। ऐसा करने से धर्म लाभ के साथ ही कुंडली के ग्रह दोषों का असर भी कम हो सकता है। जानिए भादौ पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
पूर्णिमा का महत्व भी बड़े पर्वों की तरह ही है। इस तिथि पर पूजा-पाठ, दान-पुण्य, तीर्थ दर्शन और नदी स्नान करने की परंपरा है। अगर तीर्थ दर्शन और किसी नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें। अपने शहर के पौराणिक मंदिर में दर्शन पूजन करें।
घर के मंदिर में बाल गोपाल का अभिषेक करें। तुलसी के साथ माखन मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को अर्पित करें। वस्त्र और फूलों से श्रृंगार करें। इत्र छिड़कें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
शुक्रवार की दोपहर में गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उनके अंगारों पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी डालें। हथेली में जल भरें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। इस तरह सामान्य विधि से भी पितरों के लिए धूप-ध्यान किया जा सकता है।
पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही दान भी जरूर करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन के साथ ही कपड़ों का, जूते-चप्पल, अनाज का दान करें।
किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे- कुमकुम, चावल, घी, तेल, कर्पूर, अबीर, गुलाल, हार-फूल, मिठाई का दान करें।
शुक्रवार और पूर्णिमा के योग में चंद्र देव के साथ शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकडे़ के फूल आदि चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें।