नापासर टाइम्स। कल 5 अप्रैल को चैत्र महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर चार शुभ योग बन रहे हैं। इस संयोग में व्रत और दान करने से मिलने वाला पुण्य अक्षय हो जाएगा।
भगवान शिव ने महर्षि नारद को उपदेश देते हुए कहा कि एकादशी महान पुण्य देने वाला व्रत है। श्रेष्ठ मुनियों को भी इसका अनुष्ठान करना चाहिए। पुराणों में इस एकादशी को पापमोचिनी एकादशी भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म होते हैं।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि शुक्रवार, 5 अप्रैल के ग्रह-नक्षत्रों से साध्य, शुभ नाम के योग बन रहे हैं। जिनके स्वामी सावित्री और लक्ष्मी हैं। वहीं, प्रजापति नाम का योग भी बन रहा है। इनके साथ सूर्योदय के वक्त गजकेसरी और पारिजात नाम के योग भी रहेंगे। सितारों की इस शुभ स्थिति में किया गया दान और व्रत अक्षय पुण्य देने वाला रहेगा।
भगवान विष्णु, लक्ष्मी की पूजा
एकादशी पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान ग्रंथों में मिलता है। इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल, तिल और आंवला डालकर नहाते हैं। इसके बाद उगते सूरज को अर्घ्य देकर दिनभर एकादशी व्रत रखने का संकल्प करते हैं।
तुलसी और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर दीपक लगाते है। शंख में पानी और दूध मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक और पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सत्यनारयण व्रत कथा करवाई जाती है।
*व्रत में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं*
इस व्रत में एक समय फलाहारी भोजन ही किया जाता है। व्रत करने वाले को किसी भी तरह का अनाज सामान्य नमक, लाल मिर्च और अन्य मसाले नहीं खाने चाहिए। कुटू और सिंघाड़े का आटा, रामदाना, खोए से बनी मिठाई, दूध-दही और फलों का प्रयोग इस व्रत में किया जाता है और दान भी इन्हीं वस्तुओं का किया जाता है।
एकादशी का व्रत करने के बाद दूसरे दिन द्वादशी को किसी इंसान के पेटभर आटा, दाल, नमक, घी और कुछ पैसे रखकर दान करने का विधान है।