नापासर टाइम्स। विक्रम संवत 2080 का चौथा महीना अर्थात आषाढ़ मास आज से शुरू हो गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है। पंचांग में बताया गया है कि आषाढ़ मास का शुभारंभ 5 जून 2023, सोमवार के दिन से होगा और इसका समापन गुरु पूर्णिमा के दिन 3 जुलाई 2023 को हो जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास में कई महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार मनाए जाएंगे। योगिनी एकादशी, भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा और देवशयनी एकादशी जैसे व्रत और त्योहार इसी मास में मनाए जाएंगे। बता दें की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए जो इस साल पांच महीने का है, विश्राम करने चले जाते हैं। इस वजह से इस दिन से चातुर्मास शुरू हो जाता है। आइए जानते हैं, आषाढ़ मास में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार की तिथि और दिन।
*आषाढ़ मास 2023 व्रत-त्योहार सूची*
07 जून 2023, बुधवार- कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी
10 जून 2023, शनिवार- कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
14 जून 2023, बुधवार- योगिनी एकादशी
15 जून 2023, गुरुवार- मिथुन संक्रांति, गुरु प्रदोष व्रत
16 जून 2023, शुक्रवार- मासिक शिवरात्रि
17 जून 2023, शनिवार- दर्श अमावस्या
18 जून 2023, रविवार- इष्टी, आषाढ़ अमावस्या
19 जून 2023, सोमवार- आषाढ़ नवरात्रि, चंद्र दर्शन
20 जून 2023, मंगलवार- जगन्नाथ रथयात्रा
22 जून 2023, गुरुवार- विनायक चतुर्थी
24 जून 2023, शनिवार- स्कंद षष्ठी
25 जून 2023, रविवार- भानु सप्तमी
29 जून 2023, गुरुवार- देवशयनी एकादशी, गौरी व्रत आरंभ
30 जून 2023, शुक्रवार- वासुदेव द्वादशी
01 जुलाई 2023, शनिवार- शनि त्रयोदशी, जया पार्वती व्रत आरंभ, प्रदोष व्रत, कोकिला व्रत
03 जुलाई 2023, सोमवार- गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा, आषाढ़ पूर्णिमा, गौरी व्रत समाप्त
04 जुलाई 2023, मंगलवार- श्रावण मास आरंभ
*जगन्नाथ रथ यात्रा*
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन से जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ होती है। यह यात्रा ओडिशा के पुरी में स्थित प्रसिद्ध चारधामों में से एक भगवान जगन्नाथ मंदिर से प्रारंभ होती है। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण करते हुए गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं। जहां वह 7 दिन विश्राम करते हैं और पुनः अपने घर लौट आते हैं।
*देवशयनी एकादशी*
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवशयनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और सभी देवता गण विश्राम के लिए चले जाते हैं। जिसके बाद सृष्टि का संचार भगवान शिव करते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही कई समस्याएं दूर हो जाती है।
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